Vastu Tips : सनातन धर्म में कई मान्यताएँ प्रचलित हैं, जिनमें से कुछ शास्त्रों पर आधारित होती हैं, तो कुछ लोक परंपराओं और विश्वासों से जुड़ी होती हैं। हमारे जीवन में कई छोटी-छोटी घटनाएँ घटती हैं, जिनमें से कुछ हमें शुभता का आभास कराती हैं, तो कुछ अशुभ संकेत भी देती हैं।
अगर हम ज्योतिष और वास्तु शास्त्र की मानें, तो कई ऐसी घटनाएँ होती हैं, जो हमारे जीवन में किसी बड़े बदलाव या अनहोनी का संकेत देती हैं।
ऐसे में इन संकेतों को समझना और उनसे बचाव के उपाय करना बेहद ज़रूरी हो जाता है। आइए जानते हैं उन घटनाओं के बारे में, जिन्हें वास्तु और शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना गया है।
आरती का दिया बुझ जाना: क्या यह सच में अशुभ संकेत है?
अगर पूजा के दौरान आरती का दिया अचानक बुझ जाए, तो इसे अशुभ संकेतों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि जब ईश्वर आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते या कोई बाधा आती है, तभी ऐसा होता है। ऐसी स्थिति में घबराने के बजाय तुरंत क्षमा मांगकर एक नया दीपक जलाना चाहिए। साथ ही, मन में सकारात्मक विचार रखते हुए भगवान का ध्यान करें।
सोने या चांदी की वस्तु का खो जाना: लक्ष्मी जी का क्रोध?
अगर आपके पास कोई सोने या चांदी की वस्तु अचानक खो जाती है, तो इसे भी अच्छा संकेत नहीं माना जाता। शास्त्रों के अनुसार, यह इस बात का संकेत हो सकता है कि माता लक्ष्मी आपसे रुष्ट हो रही हैं।
ऐसे में घर में मां लक्ष्मी की विशेष आराधना करें, सुबह स्नान के बाद उनकी विधिवत पूजा करें और विष्णु सहस्रनाम या लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
घर में कुत्ते का अचानक मर जाना: अनहोनी की आहट?
यदि घर में पला-पसंद किया गया कुत्ता अचानक बिना किसी कारण मर जाए, तो यह एक नकारात्मक संकेत माना जाता है।
मान्यता है कि कुत्ते का यूँ अचानक चले जाना किसी अनहोनी या परिवार पर मंडराते किसी संकट की चेतावनी देता है। ऐसी स्थिति में शनि देव की पूजा करना, महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना, और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
भगवान गणेश या लक्ष्मी जी की मूर्ति का टूट जाना: वास्तु दोष बढ़ने का संकेत!
गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और माता लक्ष्मी को समृद्धि की देवी माना जाता है। लेकिन अगर घर में उनकी मूर्ति टूट जाए, तो इसे बेहद अशुभ संकेतों में गिना जाता है।
यह वास्तु दोष को बढ़ाने के साथ ही दुर्भाग्य को आमंत्रित कर सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत पुरानी मूर्ति को किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित करें और बुधवार के दिन नई प्रतिमा की स्थापना करें।