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Almora Medical College : हल्द्वानी रेफर क्यों? अल्मोड़ा में मरीजों की अनसुनी दास्तान!

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अल्मोड़ा : उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए शुरू किया गया अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज अब अपने असली मकसद से भटक गया है। मरीजों को इलाज देने की जगह यह अस्पताल केवल रेफरल का अड्डा बनकर रह गया है। यहाँ न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही विशेषज्ञ डॉक्टर, जिसके चलते गंभीर मरीजों को हल्द्वानी की लंबी यात्रा पर भेज दिया जाता है। क्या पहाड़ के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलना अब सपना ही रह जाएगा?

गर्भवती महिलाओं का हाल: अस्पताल नहीं, बस “रेफर” की मार

जिला महिला चिकित्सालय में इन दिनों पुनर्निर्माण का काम चल रहा है। इस वजह से सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा पूरी तरह ठप है। गर्भवती महिलाओं को उम्मीद के साथ मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है, लेकिन वहाँ भी सुविधाओं का अभाव और डॉक्टरों की कमी उन्हें निराश करती है। आखिरकार, उन्हें हल्द्वानी के लिए रवाना कर दिया जाता है। हैरानी की बात यह है कि जिन महिलाओं को अल्मोड़ा में “गंभीर हालत” बताकर रेफर किया जाता है, उनका हल्द्वानी में सामान्य प्रसव आसानी से हो जाता है। यह सवाल उठता है कि आखिर कमी सुविधाओं में है या इरादों में?

बहानों की फेहरिस्त: NICU और PICU का हवाला

कभी कहा जाता है कि नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में जगह नहीं है, तो कभी पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (PICU) फुल होने का बहाना बनाया जाता है। इन सबके बीच मरीजों को हल्द्वानी की राह दिखा दी जाती है। यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता है, जो पहाड़ के लोगों के साथ अन्याय कर रही है।

मेडिकल कॉलेज: सिर्फ इमारतें खड़ी करना काफी नहीं

उत्तराखंड सरकार हर साल नए मेडिकल कॉलेज खोलने की बात करती है, लेकिन मौजूदा कॉलेजों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में न्यूरोसर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट और रेडियोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। जरूरी मेडिकल उपकरणों के बिना मरीजों का इलाज अधूरा रह जाता है। जनप्रतिनिधि बस कागजों पर ज्ञापन सौंपकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझते हैं, लेकिन इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। सवाल यह है कि जब मूलभूत सुविधाएँ ही नहीं हैं, तो नए कॉलेज खोलने की घोषणाएँ क्यों की जा रही हैं?

संजय पाण्डे का प्रयास: एक उम्मीद की किरण

सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने लगातार मेहनत कर गायनी (स्त्री रोग), सर्जरी और फार्मा विभाग में तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करवाई है। यह कदम सराहनीय है, लेकिन समस्या इतनी बड़ी है कि यह अकेले समाधान नहीं बन सकता।

जनता की पुकार: अब वादों से काम नहीं चलेगा

पहाड़ के लोग अब ठोस कदम चाहते हैं। वे माँग कर रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज में तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती हो, सिजेरियन ऑपरेशन की सुविधा शुरू की जाए और जरूरी उपकरणों की व्यवस्था हो। जनप्रतिनिधियों से भी अपील है कि वे सिर्फ कागजी कार्रवाई न करें, बल्कि इस मसले को सदन में जोर-शोर से उठाएँ।

मुख्यमंत्री हेल्पलाइन तक पहुँची शिकायत

इस गंभीर समस्या को लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 220258702596 पर शिकायत दर्ज की गई है। स्वास्थ्य सचिव और मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव को ईमेल से पूरी जानकारी दी गई है। उच्च अधिकारियों से फोन पर लगातार संपर्क कर समाधान की माँग की जा रही है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज सिर्फ एक खोखली इमारत बनकर रह जाएगा और पहाड़ की जनता का भरोसा टूट जाएगा। अब वक्त है कि सरकार जागे और लोगों को उनका हक दे!

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