डिजिटल बैंकिंग के इस दौर में लोग ज्यादातर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन आज भी कई लोग चेक से भुगतान करना पसंद करते हैं। बैंक चेक नियम (Bank Cheque Rules) को न समझने के कारण कई बार लोग परेशानियों का सामना करते हैं। खासतौर पर चेक पर सही साइनिंग न होने की वजह से चेक बाउंस (Cheque Bounced) हो सकता है, जिससे आर्थिक नुकसान और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं चेक से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों के बारे में।
बियरर्स चेक और ऑर्डर चेक में अंतर
जब भी आप किसी को चेक जारी करते हैं, तो यह दो प्रकार का हो सकता है – बियरर्स चेक (Bearers Cheque) और ऑर्डर चेक (Order Cheque)।
बियरर्स चेक:
- इस चेक में प्राप्तकर्ता का नाम नहीं लिखा होता, और जिसे भी यह चेक मिलता है, वह बैंक से पैसे निकाल सकता है।
- इस तरह के चेक के पीछे साइन (Sign on Back of Cheque) करना अनिवार्य होता है।
- अगर चेक गुम हो जाता है, तो कोई भी व्यक्ति इसे बैंक में जमा कर पैसे निकाल सकता है।
ऑर्डर चेक:
- इसमें प्राप्तकर्ता का नाम स्पष्ट रूप से लिखा होता है।
- बैंक केवल उसी व्यक्ति को भुगतान करता है, जिसका नाम चेक पर दर्ज होता है।
- ऑर्डर चेक के पीछे साइन करने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
बियरर्स चेक के पीछे साइन क्यों जरूरी?
अगर कोई व्यक्ति बियरर्स चेक का उपयोग करता है और वह चेक खो जाता है या चोरी हो जाता है, तो कोई भी व्यक्ति इसे भुना सकता है। इसलिए, बैंक बियरर्स चेक के पीछे साइन (Check Sign Rule) करने के लिए कहता है।
- इससे यह स्पष्ट होता है कि ट्रांजेक्शन आपकी सहमति से हुआ है।
- इससे बैंक किसी भी गलती के लिए जिम्मेदार नहीं होता।
- कई बार, बैंक साइन वेरीफिकेशन के लिए भी चेक के पीछे साइन करवाता है।
बियरर्स चेक से बड़ी राशि निकालने के नियम
- अगर बियरर्स चेक से ₹50,000 से अधिक राशि निकाली जा रही है, तो बैंक आईडी प्रूफ मांग सकता है।
- यदि कोई तीसरा व्यक्ति चेक जमा करने जाता है, तो बैंक उसे भी साइन करने के लिए कह सकता है।
- यदि बियरर्स चेक के साइन मेल नहीं खाते हैं, तो बैंक इसे अस्वीकार कर सकता है।
चेक बाउंस होने पर क्या होता है?
- भारत में चेक बाउंस (Cheque Bounced) होना एक दंडनीय अपराध है। यदि चेक बाउंस होता है, तो इसके लिए निम्नलिखित दंड हो सकते हैं:
- पहली बार चेक बाउंस होने पर बैंक द्वारा जुर्माना लगाया जाता है।
- लगातार कई बार चेक बाउंस होने पर अदालती कार्रवाई हो सकती है।
- यदि चेक बाउंस के कारण आर्थिक नुकसान होता है, तो चेक जारी करने वाले व्यक्ति को जेल भी हो सकती है।
चेक से भुगतान करते समय इन बातों का रखें ध्यान
- सही साइन करें:
- चेक पर वही हस्ताक्षर करें जो बैंक के रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
- हस्ताक्षर मेल न खाने पर चेक बाउंस हो सकता है।
- राशि स्पष्ट रूप से लिखें:
- चेक पर दर्ज राशि स्पष्ट होनी चाहिए।
- अंकों और शब्दों में लिखी राशि मेल खानी चाहिए।
चेक जारी करने से पहले तिथि जांचें:
यदि चेक की तारीख पुरानी (Stale Cheque) हो गई है, तो बैंक इसे अस्वीकार कर सकता है।
भविष्य की तारीख (Post Dated Cheque) वाले चेक को समय से पहले भुनाया नहीं जा सकता।
यदि आप चेक के जरिए भुगतान करते हैं, तो चेक से जुड़े नियमों (Check Sign Rule) को समझना बहुत जरूरी है। बियरर्स चेक और ऑर्डर चेक में अंतर को जानें और सुनिश्चित करें कि साइनिंग प्रक्रिया सही हो। छोटी-सी गलती भी चेक बाउंस का कारण बन सकती है, जिससे आर्थिक नुकसान और कानूनी कार्रवाई का खतरा रहता है। इसलिए, बैंकिंग नियमों का पालन करें और सुरक्षित लेन-देन करें।