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अगले 10 साल तक चुकानी होगी कीमत, बिजली बिल में होगा इजाफा

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मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर (Smart Meter) की बढ़ती लागत उपभोक्ताओं के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने इस मुद्दे पर कड़ी आपत्ति जताई है और दावा किया है कि बिजली कंपनियों द्वारा प्रस्तुत आंकड़े दर्शाते हैं कि अगले 10 सालों तक उपभोक्ताओं को ₹25,000 तक का भुगतान करना पड़ सकता है।

कैसे बढ़ेगा स्मार्ट मीटर का खर्च?

बिजली कंपनी ने यह स्पष्ट किया है कि Smart Meter की कीमत बिजली टैरिफ के जरिए वसूली जाएगी, यानी हर उपभोक्ता को धीरे-धीरे इसका भुगतान करना होगा। इसके अलावा, मीटर के रखरखाव का खर्च भी उपभोक्ताओं को वहन करना होगा, जिससे बिजली बिल और अधिक बढ़ सकता है।

बिजली टैरिफ में संभावित वृद्धि

वर्तमान में प्रदेश में सिर्फ 5% स्मार्ट मीटर ही लगाए गए हैं, लेकिन पावर मैनेजमेंट कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए ₹175 करोड़ की अतिरिक्त राशि की मांग की है। अगर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग इस मांग को स्वीकार करता है, तो टैरिफ में 10 पैसे प्रति यूनिट तक की वृद्धि हो सकती है।

बिजली की बढ़ती डिमांड और भविष्य की चिंता

प्रदेश में बिजली की मांग भी लगातार बढ़ रही है। जहां जनवरी में डिमांड कम थी, वहीं मार्च में यह बढ़कर 18,335 मेगावाट तक पहुंच गई है। गर्मी बढ़ने और कृषि सत्र समाप्त होने के बाद इसमें और बदलाव होने की संभावना है, जिससे बिजली के दामों पर और असर पड़ सकता है।

क्या होगा उपभोक्ताओं पर असर?

अगर यह नया टैरिफ लागू होता है, तो अगले 10 वर्षों में उपभोक्ताओं को भारी आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ेगा। बिजली बिलों में बढ़ोतरी और मीटर रखरखाव की अतिरिक्त लागत उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर डालेगी।

मध्य प्रदेश में Smart Meter को लेकर उपभोक्ताओं की चिंता बढ़ रही है। अगर टैरिफ में वृद्धि होती है, तो बिजली महंगी हो जाएगी और उपभोक्ताओं को हर साल अधिक भुगतान करना पड़ेगा। अब सभी की निगाहें मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के फैसले पर टिकी हैं, जो यह तय करेगा कि यह आर्थिक बोझ उपभोक्ताओं पर कितना डाला जाएगा।

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