देश के दो सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान, AIIMS नई दिल्ली और PGI चंडीगढ़, इन दिनों एक बड़े विवाद के केंद्र में हैं। इन संस्थानों की फैकल्टी एसोसिएशनों ने लंबे समय से लंबित रोटेटरी हेडशिप नीति को लागू न किए जाने पर गहरी नाराजगी जताई है। यह नीति न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देती है, बल्कि नेतृत्व में समानता सुनिश्चित करने का भी वादा करती है। लेकिन सरकार की उदासीनता ने अब फैकल्टी को आंदोलन की राह पर ला खड़ा किया है। आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं।
रोटेटरी हेडशिप
रोटेटरी हेडशिप का मतलब है कि किसी विभाग के प्रमुख का पद एक व्यक्ति के पास स्थायी रूप से नहीं रहता, बल्कि योग्य व्यक्तियों को बारी-बारी से नेतृत्व का मौका मिलता है। यह प्रणाली न केवल प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाती है, बल्कि नए विचारों और नेतृत्व को भी प्रोत्साहित करती है।
AIIMS और PGI की फैकल्टी एसोसिएशनों का कहना है कि यह नीति उनके संस्थानों में न्यायपूर्ण और लोकतांत्रिक ढांचे की रीढ़ है। 16 और 17 अप्रैल 2025 को आयोजित जनरल बॉडी मीटिंग में दोनों संस्थानों ने एक स्वर में इस नीति को लागू करने की मांग की। फैकल्टी का मानना है कि कोलेजियम सिस्टम के साथ यह नीति संस्थानों की गरिमा और नेतृत्व में समानता को मजबूत करेगी।
सरकार की घोषणा, फिर भी खामोशी
वर्ष 2023 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने ऐलान किया था कि जून 2024 से AIIMS नई दिल्ली और PGI चंडीगढ़ में रोटेटरी हेडशिप नीति लागू होगी। इस घोषणा ने फैकल्टी में उम्मीद जगाई थी, लेकिन अब, लगभग एक साल बाद भी, इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
फैकल्टी एसोसिएशनों ने बार-बार मंत्रालय से संपर्क किया, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी अब तक दोनों एसोसिएशनों को मिलने का समय नहीं दिया, जिसे फैकल्टी ने सरकार की उदासीनता और वादाखिलाफी करार दिया है।
फैकल्टी का अल्टीमेटम
सरकार की इस टालमटोल नीति से तंग आकर दोनों फैकल्टी एसोसिएशनों ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। 17 अप्रैल 2025 को एक साझा बयान में, उन्होंने सरकार को 14 दिन का अल्टीमेटम दिया है। अगर इस अवधि में रोटेटरी हेडशिप नीति लागू नहीं की गई, तो 1 मई 2025 से चरणबद्ध विरोध प्रदर्शन शुरू होंगे।
पहले चरण में फैकल्टी सदस्य काली पट्टी बांधकर विरोध जताएंगे। अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो अगले महीने भूख हड़ताल का रास्ता अपनाया जाएगा। इसके बाद भी अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया, तो विरोध को और सख्त करने की चेतावनी दी गई है। फैकल्टी ने साफ कहा है कि वे एकजुट हैं और अपने संस्थानों की गरिमा और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।
सरकार पर सवाल, संस्थानों की साख दांव पर
यह विवाद केवल रोटेटरी हेडशिप नीति तक सीमित नहीं है। यह मामला देश के दो शीर्ष चिकित्सा संस्थानों के प्रशासनिक ढांचे और सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। AIIMS और PGI न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए जाने जाते हैं। लेकिन सरकार की उदासीनता और नीतिगत देरी ने इन संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। फैकल्टी का कहना है कि वे आंदोलन नहीं चाहते, लेकिन सरकार की चुप्पी उन्हें मजबूर कर रही है।
आगे क्या होगा?
यह स्थिति न केवल AIIMS और PGI के लिए बल्कि भारत की चिकित्सा शिक्षा प्रणाली के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सरकार को चाहिए कि वह अपनी घोषित प्रतिबद्धता का सम्मान करे और फैकल्टी की जायज मांगों पर तुरंत कार्रवाई करे। रोटेटरी हेडशिप नीति लागू करना न केवल प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक कदम होगा, बल्कि यह इन संस्थानों की विश्वसनीयता और लोकतांत्रिक मूल्यों को भी मजबूत करेगा। फैकल्टी ने साफ कर दिया है कि वे पीछे नहीं हटेंगी। अब गेंद सरकार के पाले में है।