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वादे बड़े, काम छोटे? धामी सरकार के कार्यकाल पर कांग्रेस ने क्यों बोला हमला?

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देहरादून : उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के तीन साल पूरे कर लिए हैं। 23 मार्च 2022 को शपथ लेने वाली इस सरकार ने अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए राज्य भर में जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक कई कार्यक्रम आयोजित किए। देहरादून में आयोजित एक भव्य समारोह में सीएम धामी ने बीते तीन सालों में किए गए विकास कार्यों का बखान किया और जनता के सामने अपनी सरकार की मेहनत को पेश किया।

इस मौके पर उन्होंने तीन बड़ी घोषणाएं भी कीं, जो युवाओं, कर्मचारियों और स्थानीय ठेकेदारों के लिए उम्मीद की किरण बन सकती हैं। लेकिन इन दावों पर विपक्षी दल कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और इसे महज “खोखली घोषणाओं” का ढिंढोरा करार दिया है।

धामी की तीन बड़ी घोषणाएं: कितनी हकीकत, कितना सपना?

देहरादून के कार्यक्रम में सीएम धामी ने तीन अहम ऐलान किए। पहला, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे मेधावी छात्रों को आर्थिक मदद देने के लिए एक मंच तैयार किया जाएगा। दूसरा, उपनल और संविदा कर्मचारियों को सरकारी विभागों में खाली पदों पर नियमित करने की नीति बनाई जाएगी।

और तीसरा, स्थानीय ठेकेदारों को 10 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेके देने का वादा किया गया। धामी ने कहा कि ये कदम राज्य के युवाओं, कर्मचारियों और छोटे व्यवसायियों को सशक्त बनाने की दिशा में उठाए गए हैं। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने बीते तीन सालों में ऐतिहासिक विकास कार्य किए, जिनका असर हर गांव और हर घर तक पहुंचा है।

कांग्रेस का हमला: “घोषणाएं हैं, धरातल पर कुछ नहीं”

धामी सरकार की इन घोषणाओं पर उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ये घोषणाएं सुनने में अच्छी लगती हैं, लेकिन इनका धरातल पर उतरना अभी बाकी है। माहरा ने सरकार के पिछले रिकॉर्ड पर निशाना साधते हुए कहा कि इन्वेस्टर समिट में बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर सरकार तीन साल में ठोस नीतियां नहीं बना पाई, तो अगले डेढ़ साल में क्या चमत्कार कर लेगी? माहरा ने यह भी पूछा कि प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार के लिए छात्रों को कितना फंड मिलेगा, क्योंकि अभी तक इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई।

स्थानीय ठेकेदारों को ठेके देने की घोषणा पर माहरा ने कहा कि अगर यह सच में लागू होता है, तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा। लेकिन उन्हें शक है कि यह भी पहले की तरह कोरी घोषणा बनकर रह जाएगी। उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन और 2 करोड़ रोजगार जैसे वादे तो देश भर में सुने गए, लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है।

G20 का ढोल और गांवों की बदहाली

माहरा ने G20 सम्मेलन का जिक्र करते हुए सरकार पर और हमला बोला। उन्होंने कहा कि सम्मेलन के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन नतीजा सिर्फ दीवारों पर रंगाई-पुताई तक सीमित रहा। मेहमानों को जिस गांव में ले जाया गया, वहां थोड़ा-बहुत काम हुआ, लेकिन बाकी गांवों की हालत जस की तस है। माहरा ने कहा कि जब G20 जैसे बड़े आयोजन से कुछ हासिल नहीं हुआ, तो इन नई घोषणाओं से जनता को क्या उम्मीद रखनी चाहिए?

जनता के लिए क्या है इस बहस में?

धामी सरकार अपनी उपलब्धियों और नई योजनाओं के जरिए जनता का भरोसा जीतने की कोशिश कर रही है। वहीं, कांग्रेस इसे महज चुनावी जुमला बता रही है। लेकिन असल सवाल यह है कि क्या ये घोषणाएं सच में युवाओं को रोजगार, कर्मचारियों को स्थायित्व और ठेकेदारों को मौके दे पाएंगी? या फिर ये वादे भी कागजों तक सीमित रह जाएंगे? उत्तराखंड की जनता अब इन सवालों के जवाब का इंतजार कर रही है।

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