विकासनगर: सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या आज हर किसी के लिए चिंता का विषय बन गई है। जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष और जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से बातचीत में इस गंभीर मसले पर अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर लगातार गिर रहा है, जिसके चलते अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं।
आलम यह है कि सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन नतीजा सिफर। क्या ऐसे हालात में हमारा देश विश्व गुरु बनने का सपना पूरा कर पाएगा?
नेगी ने आंकड़ों के साथ अपनी बात को पुख्ता किया। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 130 स्कूलों में सिर्फ एक-एक छात्र, 267 में दो-दो, 324 में तीन-तीन, 361 में चार-चार और 423 स्कूलों में पांच-पांच छात्र बचे हैं। छह से दस छात्रों वाले स्कूलों की संख्या भी सैकड़ों में है। यह आंकड़ा सरकार की नाकामी को साफ तौर पर उजागर करता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “ऐसे में विश्व गुरु बनने का ख्वाब तो पूरा हो ही जाएगा!”
उन्होंने आगे कहा कि अभिभावक आज सरकारी स्कूलों से किनारा कर रहे हैं। इसका कारण है शिक्षकों की लापरवाही और सरकारी सिस्टम की खामियां। शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा तमाम गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां थोप दी गई हैं, जिससे उन्हें बच्चों को पढ़ाने का वक्त ही नहीं मिलता।
पहाड़ी इलाकों में शिक्षक नौकरी करने से कतराते हैं। सिफारिशों के दम पर कुछ शिक्षक दुर्गम से सुगम इलाकों में तबादला करवा लेते हैं, जबकि बिना पहुंच वाले शिक्षक सालों तक दुर्गम क्षेत्रों में तैनात रहते हैं। यह भेदभाव भी शिक्षकों में उदासीनता पैदा कर रहा है। इसके अलावा, पलायन ने भी इस समस्या को बढ़ाया है।
नेगी ने सरकार से अपील की कि पहाड़ों में प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए सुविधाएं दी जाएं। साथ ही, शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत दाखिले का कोटा 25% से बढ़ाकर 40% किया जाए। इससे बच्चों में पढ़ाई का रुझान बढ़ेगा और सरकार का पैसा बर्बाद होने से बचेगा। पत्रकार वार्ता में हाजी असद और प्रवीण शर्मा पिन्नी भी मौजूद रहे।