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Vyasi-Lakhwad Project: व्यासी-लखवाड़ प्रोजेक्ट में डीएम की सख्ती, जानिये यूजेवीएन पर क्यों भड़के?

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देहरादून : व्यासी-लखवाड़ परियोजना को लेकर आज देहरादून में एक अहम बैठक हुई, जिसमें जिलाधिकारी सविन बंसल ने सख्त रुख अपनाते हुए यूजेवीएन के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। यह परियोजना न सिर्फ उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का प्राथमिकता वाला प्रोजेक्ट माना जा रहा है।

डीएम ने स्पष्ट कहा कि हर 10 दिन में इसकी प्रगति की निगरानी होगी और इसमें किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। क्या यह संभव है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट में अधिकारी अभी तक प्रभावित परिवारों की सही संख्या तक न बता पाएं? बैठक में मौजूद प्रभावित परिवारों ने पहली बार अपनी बात रखने का मौका मिलने पर डीएम का आभार जताया।

जिलाधिकारी ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई परिवार 1980 से 2020 के बीच इस परियोजना से प्रभावित हुआ है, तो उसे मुआवजे का दोहरा लाभ दिया जाएगा। यह घोषणा प्रभावितों के लिए राहत लेकर आई, लेकिन यूजेवीएन के अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल भी खड़े कर गई।

डीएम ने अधिकारियों से पूछा, “आप लौहारी गांव का अनुग्रह-मुआवजा अभी तक क्यों नहीं बांट पाए?” जवाब में अधिकारी कोई ठोस कारण नहीं बता सके, जिससे डीएम का गुस्सा और भड़क गया। उन्होंने कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि अगर अधिकारी काम नहीं कर सकते, तो अपने तबादले की व्यवस्था खुद कर लें, क्योंकि इस महत्वाकांक्षी परियोजना में हीलाहवाली करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।

बैठक में यह भी तय हुआ कि प्रभावित परिवार संघ अब हर निर्णय का हिस्सा होगा। डीएम ने कहा, “जब तक प्रभावितों की बात नहीं सुनी जाएगी, इस परियोजना को जमीन पर उतारना मुश्किल है।” यह कदम पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने की दिशा में बड़ा साबित हो सकता है।

दूसरी ओर, यूजेवीएन के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठे। प्रभावितों ने शिकायत की कि अधिकारी न तो उनकी सुनते हैं और न ही समय पर मुआवजा वितरण की जानकारी देते हैं। डीएम ने तुरंत एडीएम और विशेष भू-अध्याप्ति अधिकारी को एक हफ्ते में समस्याओं का समाधान करने के निर्देश दिए। साथ ही चेतावनी दी कि अगर यूजेवीएन ने नियमों का पालन नहीं किया, तो बड़ी कार्रवाई होगी।

माननीय प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री इस प्रोजेक्ट पर खुद नजर रखे हुए हैं। ऐसे में डीएम का यह सख्त रवैया स्वाभाविक लगता है। बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन जयभारत सिंह, विशेष भू-अध्याप्ति अधिकारी स्मृता रमार और उप जिलाधिकारी विकासनगर विनोद कुमार मौजूद रहे। अब सवाल यह है कि क्या यूजेवीएन समय रहते अपनी कमियों को सुधार पाएगा, या फिर इस परियोजना में और देरी होगी? अगली बैठक में यूजेवीएन के प्रबंध निदेशक को भी बुलाया गया है, जिससे इस मुद्दे पर और सख्ती की उम्मीद की जा रही है।

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