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मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान से बढ़ा विवाद, संघर्ष समिति ने दी तीखी प्रतिक्रिया

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पौड़ी: उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पहाड़ियों पर की गई टिप्पणी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को पौड़ी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नमन चंदोला ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री को आड़े हाथों लिया।

पहाड़ी समुदाय की उपेक्षा पर नाराजगी

चंदोला ने कहा कि पहले ऋषिकेश में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा गढ़वालियों को अपशब्द कहे गए, और अब कैबिनेट मंत्री द्वारा पहाड़ियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बयान आना निंदनीय है। उन्होंने इसे उत्तराखंड के मूल निवासियों को हाशिए पर डालने की सोची-समझी साजिश बताया।

“42 शहादतों के बाद उत्तराखंड एक अलग राज्य बना, और यह हमारी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए हुआ। लेकिन अब, जब सत्ता में बैठे लोग ही इस पहाड़ी राज्य के लोगों का अपमान करेंगे, तो यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,” चंदोला ने कहा।

पहाड़ी विधायक क्यों हैं खामोश?

चंदोला ने सवाल उठाया कि जब विधानसभा में इस तरह के बयान दिए जा रहे थे, तब वहां बैठे पहाड़ी विधायकों ने चुप्पी क्यों साधी? उन्होंने कहा कि यदि राज्य का अपना कोई क्षेत्रीय दल होता, तो इस तरह के हालात नहीं पैदा होते।

“राष्ट्रीय पार्टियां लगातार बाहरी लोगों को प्राथमिकता दे रही हैं। उदाहरण के तौर पर ऋषिकेश में महापौर शंभू पासवान बने और विधायक प्रेमचंद अग्रवाल। यह साफ दर्शाता है कि बाहरी लोगों को सत्ता में लाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से पहाड़ियों को हाशिए पर धकेला जा रहा है,” उन्होंने कहा।

पहाड़ के नमक से गद्दारी बर्दाश्त नहीं

संघर्ष समिति के संयोजक ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि जो लोग उत्तराखंड के संसाधनों का लाभ उठा रहे हैं, वही आज पहाड़ियों का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने ऐसे जनप्रतिनिधियों से तत्काल इस्तीफा लेने की मांग की।

चंदोला का मानना है कि अगर राज्य में क्षेत्रीय राजनीतिक दल मजबूत होता, तो आज गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी को आसानी से भाषा का दर्जा मिल चुका होता। लेकिन राष्ट्रीय दलों का ध्यान केवल वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।

पहाड़ी संस्कृति की अनदेखी पर आक्रोश

चंदोला ने इस बात को भी उठाया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने छठ पूजा के लिए राजकीय अवकाश घोषित किया था, लेकिन पहाड़ की पारंपरिक बग्वाल पर्व को नजरअंदाज कर दिया गया। वहीं, भाजपा सांसद अजय भट्ट बंगालियों के लिए आरक्षण की वकालत कर रहे हैं, लेकिन पहाड़ियों की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।

क्षेत्रीय दल बनाने की अपील

संघर्ष समिति ने राज्य के सभी आंदोलनकारियों से एकजुट होकर एक नया क्षेत्रीय दल बनाने की अपील की, ताकि उत्तराखंड के मूल निवासियों के हितों की रक्षा हो सके।

“राष्ट्रीय दलों के एजेंडे में पहाड़ नहीं, बल्कि बाहरी लोगों का वोट बैंक ही प्राथमिकता है। अगर हमें अपनी अस्मिता और अधिकार बचाने हैं, तो हमें संगठित होकर खुद के लिए आवाज़ उठानी होगी,” चंदोला ने कहा।

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