उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच घमासान मचा हुआ है, लेकिन क्या वाकई यह मुद्दा राजनीति से ज्यादा आम जनता से जुड़ा है? जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी का कहना है कि दोनों दल केवल राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि असली समस्या लाइन लॉस (Distribution Loss) और AT&C (Aggregate Technical & Commercial) हानियों की है।
लाइन लॉस के आंकड़े चौंकाने वाले
प्रदेश के कई इलाकों में बिजली वितरण में भारी नुकसान हो रहा है। सबसे ज्यादा रुड़की (शहरी एवं ग्रामीण) में 43%, रुद्रपुर में 37%, लक्सर में 35.25% और बागेश्वर में 32% तक लाइन लॉस देखा गया है। यह नुकसान बढ़ते हुए अगस्त 2024 तक 18.96% लाइन लॉस और 33.41% AT&C लॉस तक पहुंच गया, जिससे प्रदेश को 1,500-2,000 करोड़ रुपये की भारी राजस्व हानि हो रही है।
स्मार्ट मीटर से क्यों परहेज?
नेताओं और जनता में स्मार्ट मीटर को लेकर अलग-अलग राय है। रघुनाथ सिंह नेगी का कहना है कि जब हर किसी को स्मार्टफोन चाहिए, तो स्मार्ट मीटर से इतनी परेशानी क्यों? उनका मानना है कि अगर उच्च गुणवत्ता और विश्वसनीय कंपनियों के मीटर लगाए जाएं, तो इससे न केवल बिजली चोरी रुकेगी, बल्कि आम जनता को सस्ती दरों पर बिजली मिल सकेगी।
बिजली उपभोक्ताओं पर बढ़ता भार
प्रदेश में 2022-23 में लाइन लॉस 14.41% था, जो अब तेजी से बढ़कर 2024 तक 18.96% हो गया है। AT&C लॉस भी 50% तक पहुंच गया, जिससे बिजली कंपनियों को घाटा हो रहा है और इसकी भरपाई उपभोक्ताओं से की जा रही है। रुड़की (अर्बन) में AT&C लॉस 53.65%, बागेश्वर में 49.82%, अल्मोड़ा में 50.13% और हल्द्वानी में 50.01% तक दर्ज किया गया है।
मोर्चा की सरकार से मांग
जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार से उच्च लाइन लॉस वाले क्षेत्रों में पहले स्मार्ट मीटर लगाने की मांग की है, ताकि बिजली की बर्बादी रोकी जा सके और जनता को सस्ती बिजली मिल सके।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल
आकाश पंवार (महासचिव), प्रवीण शर्मा पिन्नी और सुशील भारद्वाज ने भी इस मुद्दे पर सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील की।