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Kedarnath Yatra 2025 : उत्तराखंड यात्रा से पहले 16,000 घोड़ों की जांच, डॉक्टरों की स्पेशल टीम अलर्ट मोड पर

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Kedarnath Yatra 2025 : उत्तराखंड की पवित्र केदारनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र रही है। लेकिन इस बार यात्रा को और सुरक्षित बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने घोड़े-खच्चरों की सेहत पर विशेष ध्यान दिया है। पशुपालन विभाग ने एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के खतरे को देखते हुए कड़े कदम उठाए हैं, ताकि यात्रा मार्ग पर किसी भी तरह का जोखिम न हो। देहरादून में पशुपालन सचिव डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि विभाग ने घोड़े-खच्चरों की जांच और निगरानी के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। 

पशुपालन विभाग ने 4 अप्रैल से यात्रा शुरू होने तक पूरे उत्तराखंड में करीब 16,000 घोड़े-खच्चरों की सैंपलिंग की। इस दौरान 152 सैंपल पॉजिटिव पाए गए, लेकिन दोबारा किए गए आरटी-पीसीआर टेस्ट में सभी नतीजे नकारात्मक आए। इसका मतलब है कि यात्रा में केवल स्वस्थ घोड़े-खच्चरों को ही अनुमति दी जाएगी। सचिव ने बताया कि अस्वस्थ घोड़ों को यात्रा मार्ग पर जाने की इजाजत नहीं होगी। इस कदम से न केवल जानवरों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि यात्रियों के लिए भी यात्रा सुरक्षित रहेगी। 

यात्रा के शुरुआती दो दिनों में 13 घोड़े-खच्चरों की मौत की खबर ने चिंता बढ़ा दी थी। जांच में पता चला कि आठ घोड़ों की मौत डायरिया और पांच की एक्यूट कोलिक की वजह से हुई। इन मामलों की गहराई से जांच के लिए सैंपल बरेली के भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेजे गए हैं।

इस स्थिति से निपटने के लिए पशुपालन विभाग ने यात्रा मार्ग पर 22 से ज्यादा पशु चिकित्सकों की टीम तैनात की है। इसके अलावा, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र और पंतनगर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ भी इस अभियान में शामिल हैं। ये विशेषज्ञ 2009 में भी इस बीमारी से निपटने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। 

सचिव ने यह भी बताया कि एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस इंसानों में नहीं फैलता, लेकिन घोड़े-खच्चरों में यह तेजी से फैल सकता है। इसलिए पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से आने वाले 2-3 हजार घोड़े-खच्चरों पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। स्थानीय लोगों और घोड़ा-खच्चर व्यवसायियों ने भी इस रोक को और बढ़ाने की मांग की है, ताकि वायरस का खतरा पूरी तरह टल जाए। इस मांग को देखते हुए जिला प्रशासन जल्द ही इस पर फैसला लेगा। 

उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास न केवल यात्रा की सुरक्षा को बढ़ावा देगा, बल्कि स्थानीय व्यवसायियों और श्रद्धालुओं के बीच विश्वास भी पैदा करेगा। पशुपालन विभाग की इस सक्रियता से साफ है कि सरकार हर स्तर पर यात्रा को सुचारू और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। 

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