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Pushkar Singh Dhami : धौलीगंगा पर बनेगी मेगापावर प्रोजेक्ट? पिथौरागढ़ को मिलने वाला है बड़ा तोहफा!

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Pushkar Singh Dhami : उत्तराखंड के विकास की राह को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से मुलाकात की। इस मुलाकात का मकसद था राज्य की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को नई ऊर्जा देना।

मुख्यमंत्री ने 8 महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं के लिए केंद्र से मंजूरी की मांग की, जिनकी कुल बिजली उत्पादन क्षमता 761 मेगावाट है। इनमें 647 मेगावाट की 7 परियोजनाएं और 114 मेगावाट की एक विशेष परियोजना शामिल है। क्या ये परियोजनाएं उत्तराखंड के लिए नई समृद्धि का द्वार खोलेंगी?

मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय मंत्री को भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड सरकार गंगा और उसकी सहायक नदियों की पवित्रता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति पूरी तरह कटिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हम विशेषज्ञों की सलाह और सतत विकास के सिद्धांतों का पालन करते हुए प्रगति की राह पर हैं।” खास तौर पर, उन्होंने पिथौरागढ़ की धौलीगंगा नदी पर प्रस्तावित 114 मेगावाट की सेला उर्थिंग जलविद्युत परियोजना का जिक्र किया। यह परियोजना इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह गंगा बेसिन का हिस्सा नहीं है। उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियों के अलावा अन्य नदी घाटियों पर जलविद्युत परियोजनाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है। ऐसे में, धामी ने इस परियोजना को जल्द मंजूरी देने की अपील की।

इसके साथ ही, मुख्यमंत्री ने 647 मेगावाट की 7 अन्य जलविद्युत परियोजनाओं को भी हरी झंडी दिखाने का अनुरोध किया। ये परियोजनाएं भारत सरकार के कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों और राज्य सरकार के प्रस्तावों पर आधारित हैं। धामी ने जोर देकर कहा कि इन परियोजनाओं से न केवल बिजली उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय रोजगार और आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा। 

उत्तराखंड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और नदियों के लिए जाना जाता है, अब इन परियोजनाओं के जरिए अपनी ऊर्जा क्षमता को और मजबूत करना चाहता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाया जा सकेगा? मुख्यमंत्री का कहना है कि उनकी सरकार इस दिशा में पूरी तरह सजग है। उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्रीय जलशक्ति मंत्री इस मामले में सकारात्मक कदम उठाएंगे। 

इन परियोजनाओं की मंजूरी उत्तराखंड के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। यह न केवल राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी योगदान देगा। अब सबकी निगाहें केंद्र सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या उत्तराखंड को जल्द ही नई ऊर्जा मिलेगी? यह समय ही बताएगा। 

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