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Dehradun News : उत्तराखंड में जल्द रचेगा इतिहास! पिट्सबर्ग सम्मेलन में उत्तराखंड के GEP मॉडल की होगी चर्चा

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Dehradun News : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को अपने आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें पर्यावरण और सतत विकास जैसे गंभीर मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। इस मुलाकात में हेस्को के संस्थापक और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, इंफोसिस ग्लोबल के पूर्व उपाध्यक्ष और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. कोरे ग्लिकमैन, और कॉरपोरेट जगत के विशेषज्ञ श्री अमित भाटिया शामिल हुए। यह बैठक उत्तराखंड के लिए एक नई दिशा और पर्यावरणीय नेतृत्व की दृष्टि से बेहद अहम रही।

जी.ई.पी.: उत्तराखंड की अनूठी पहल

डॉ. कोरे ग्लिकमैन ने उत्तराखंड को ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट (जी.ई.पी.) लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री धामी की सराहना की। जी.ई.पी. एक ऐसी प्रणाली है, जो पर्यावरणीय संसाधनों के मूल्य को आर्थिक विकास के साथ जोड़ती है। डॉ. ग्लिकमैन ने बताया कि उत्तराखंड ने पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक प्रगति के बीच संतुलन स्थापित करने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

उन्होंने यह भी साझा किया कि अमेरिका के पिट्सबर्ग में जल्द ही एक वैश्विक पर्यावरण सम्मेलन होने वाला है, जहां जी.ई.पी. और इकोलॉजी-इकोनॉमी संतुलन जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श होगा। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को विशेष रूप से आमंत्रित किया।

उत्तराखंड का पर्यावरणीय नेतृत्व

मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर उत्तराखंड की पर्यावरणीय नीतियों और प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकास और पर्यावरण के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तराखंड में जल संरक्षण, वन संपदा की सुरक्षा, और जैव-विविधता को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव कदम उठाए जा रहे हैं। धामी ने जोर देकर कहा कि उत्तराखंड न केवल आर्थिक विकास पर ध्यान दे रहा है, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को भी प्राथमिकता दे रहा है, जो भावी पीढ़ियों के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।

वैश्विक मंच पर उत्तराखंड की गूंज

इस बैठक में मौजूद हेस्को के संस्थापक डॉ. अनिल जोशी ने भी उत्तराखंड के सतत विकास मॉडल की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का यह प्रयास न केवल राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल बन सकता है। डॉ. शिवम जोशी की उपस्थिति ने इस चर्चा को और भी समृद्ध बनाया। यह बैठक उत्तराखंड के लिए एक ऐसी दिशा की ओर इशारा करती है, जहां पर्यावरण और विकास एक-दूसरे के पूरक बन सकते हैं।

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