गैरसैंण (भराड़ीसैंण), उत्तराखंड : उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण आज एक ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी। यहां विधानसभा भवन में राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने अंतरराष्ट्रीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान के मुख्यालय का उद्घाटन किया। यह संस्थान न सिर्फ उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होने की उम्मीद है। क्या आपने कभी सोचा कि पहाड़ी राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ ज्ञान और शोध के क्षेत्र में भी इतना बड़ा कदम उठा सकता है?
इस संस्थान का उद्देश्य साफ है – शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और नीति-निर्माताओं को एक ऐसा मंच देना, जहां वे वैश्विक स्तर पर विचार-मंथन कर सकें। विधानसभा अध्यक्ष ने उद्घाटन के दौरान कहा, “यहां से निकलने वाली शोध और प्रशिक्षण की रोशनी उत्तराखंड के विकास को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। नीतियां अब किताबों तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि व्यवहारिक और प्रभावी बनेंगी।” उनके शब्दों में आत्मविश्वास और उम्मीद साफ झलक रही थी।
उद्घाटन के बाद ऋतु खण्डूडी ने विधानसभा भवन में चल रहे ई-विधान एप्लिकेशन (NeVA) के कार्यों का दौरा किया। यह डिजिटल प्रणाली विधानसभा की कार्यवाही को पूरी तरह से बदलने की तैयारी में है। कागजों का ढेर अब अतीत की बात होगा। अधिकारियों से बातचीत के दौरान उन्होंने इस प्रणाली की प्रगति पर संतोष जताया और कहा, “ई-विधान से न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत होगी। यह डिजिटल इंडिया का एक ठोस हिस्सा है।” क्या यह कदम विधायकों के काम को आसान बनाने के साथ-साथ आम जनता तक विधानसभा की पहुंच को भी बढ़ाएगा? जवाब समय ही देगा।
इसके अलावा, विधानसभा अध्यक्ष ने भराड़ीसैंण विधानसभा परिसर में कुछ खास पल भी बिताए। उन्होंने हार्टिकल्चर की महिला समूह के साथ मिलकर सेब के पेड़ लगाए। यह नजारा देखते ही बनता था—एक ओर डिजिटल प्रगति, दूसरी ओर प्रकृति और स्थानीय समुदाय से जुड़ाव। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड की मिट्टी और मौसम सेब की खेती के लिए बेहद अनुकूल हैं। यह कदम न सिर्फ पर्यावरण को मजबूत करेगा, बल्कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में भी मददगार होगा।” यह पहल स्थानीय रोजगार और बागवानी को बढ़ावा देने की दिशा में एक छोटा, लेकिन सार्थक प्रयास है।
ऋतु खण्डूडी भूषण का यह दौरा गैरसैंण को नई पहचान दिलाने की कोशिश का हिस्सा है। एक ओर जहां डिजिटल तकनीक से विधानसभा को सशक्त बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शोध और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल देने की तैयारी है। यह संतुलन ही उत्तराखंड के भविष्य को सुनहरा बना सकता है।