हल्द्वानी : शहर के हीरानगर निवासी डॉ. ललित मोहन जोशी 25 मार्च 2023 को साइबर ठगी का शिकार हुए थे। ठगों ने उन्हें कॉल कर आर्मी से जुड़ा होने का दावा किया और बच्चों की काउंसलिंग कराने के बहाने विश्वास जीत लिया। इसी दौरान ठगों ने उनके बैंक खाते से तीन बार में कुल 1.18 लाख रुपये निकाल लिए। पैसे कटने के बाद डॉक्टर जोशी को अहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।
शिकायत के बावजूद पुलिस कार्रवाई में देरी
ठगी का पता चलते ही उन्होंने डेढ़ घंटे के भीतर साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। उम्मीद थी कि जल्द ही पुलिस इस पर कार्रवाई करेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महीनों बीत गए, साल गुजर गया, मगर एफआईआर दर्ज नहीं हुई। धीरे-धीरे उन्होंने भी इसे भूलना शुरू कर दिया और अपने काम में व्यस्त हो गए।
अचानक आया एफआईआर का संदेश
22 माह 19 दिन बाद अचानक उनके मोबाइल पर एक संदेश आया कि उनकी एफआईआर दर्ज हो चुकी है। यह देख वह चौंक गए और उन्हें पुरानी घटना फिर याद आ गई। उन्होंने बताया कि शुरुआत में वह ठगों को पकड़वाना चाहते थे, लेकिन इतने लंबे इंतजार के बाद अब उन्हें हंसी और गुस्सा दोनों आ रहा है।
पुलिस व्यवस्था पर सवाल
डॉ. जोशी ने बताया कि उन्होंने समय पर शिकायत की थी, लेकिन कार्रवाई में बहुत देरी हुई। उन्होंने कहा, “मुझे पैसों से ज्यादा चिंता ठगों को पकड़वाने की थी ताकि कोई और इसका शिकार न हो। अफसोस, ऐसा नहीं हुआ। पुलिस विभाग की जिम्मेदारियां अधिक होती हैं, लेकिन इतनी देरी भी सही नहीं कि आम आदमी पूरी तरह निराश हो जाए।”
साइबर अपराध से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी
यह मामला उन लोगों के लिए एक सबक है जो साइबर अपराधियों के झांसे में आ सकते हैं। किसी भी अनजान कॉल पर बैंकिंग जानकारी साझा न करें और संदेह होने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराएं। पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियों को भी अपनी प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता है ताकि समय पर न्याय मिल सके।