देहरादून : 38वें राष्ट्रीय खेलों में एथलेटिक्स मुकाबलों के दौरान मेडल सेरेमनी का नज़ारा कुछ बदला हुआ नजर आया। इस बार विजेता खिलाड़ियों के लिए मेडल लाने का काम एक रोबोट ने किया। ‘मौली रोबोट’ नामक इस तकनीकी नवाचार ने खेल प्रेमियों और दर्शकों को हैरान कर दिया। आमतौर पर यह जिम्मेदारी किसी आयोजक या स्वयंसेवक की होती थी, लेकिन इस बार रोबोट ने ट्रे में मेडल लेकर विजेताओं तक पहुंचाया, जिसके बाद अतिथियों ने खिलाड़ियों को सम्मानित किया।
रोबोट ने किया डिस्कस थ्रो में भी सहयोग
मौली रोबोट के अलावा, एक और रोबोट ने डिस्कस थ्रो मुकाबलों में अपनी भूमिका निभाई। अब तक इन खेलों में फेंके गए डिस्कस (चक्के) को वापस लाने का काम किसी कर्मचारी द्वारा किया जाता था, लेकिन इस बार एक रोवर ने यह जिम्मेदारी निभाई। यह नई तकनीक न केवल खेल आयोजन को और सुव्यवस्थित बना रही है, बल्कि मानव श्रम पर निर्भरता भी कम कर रही है।
उत्तराखंड पुलिस और डीटाउन रोबोटिक्स की अनूठी पहल
इस तकनीकी प्रयोग को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड पुलिस की ड्रोन टीम ने एक निजी कंपनी डीटाउन रोबोटिक्स के साथ मिलकर काम किया। ड्रोन टीम के विपिन कुमार, दीपांकर बिष्ट, प्रशांत चंद्र, दीपक बिष्ट, अभिषेक कुमार और प्रज्ज्वल रावत ने करीब डेढ़ महीने तक इस प्रोजेक्ट पर काम किया। इस परियोजना के तहत दो प्रकार के रोबोट विकसित किए गए – एक मेडल सेरेमनी के लिए और दूसरा डिस्कस थ्रो में सहायता के लिए।
खेलों में तकनीकी विकास की नई पहल
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल को राष्ट्रीय खेलों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उनके अनुसार, “राष्ट्रीय खेलों में सिर्फ खेलों की प्रतिस्पर्धा ही नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि आधुनिक तकनीक का अधिकतम लाभ खेलों के विकास में लिया जाए।”
राष्ट्रीय खेलों में पहली बार रोबोटिक तकनीक का उपयोग किया जा रहा है, और यह प्रयोग बेहद सफल भी साबित हुआ है। भविष्य में हैमर थ्रो, जेवलिन थ्रो और अन्य एथलेटिक्स इवेंट्स में भी रोबोट का उपयोग किया जा सकता है, जिससे खेल आयोजन और अधिक सुगम और प्रभावी होगा।