हरिद्वार: खानपुर विधायक उमेश कुमार के कार्यालय पर फायरिंग मामले में जेल में बंद पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन को कोर्ट से करारा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। साथ ही, पुलिस द्वारा हत्या के प्रयास की धारा 109 हटाने के लिए दायर याचिका को भी कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है।
ऑनलाइन पेशी में कोर्ट का सख्त फैसला
शुक्रवार, 7 फरवरी को पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन समेत अन्य आरोपियों को हरिद्वार सीजेएम कोर्ट में ऑनलाइन पेश किया गया। इस दौरान, कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण याचिकाओं पर सुनवाई की—एक चैंपियन की जमानत याचिका, और दूसरी पुलिस द्वारा धारा 109 हटाने की मांग। हालांकि, कोर्ट ने दोनों ही याचिकाओं को खारिज कर दिया।
वकीलों की दलीलें और कोर्ट का निर्णय
पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश कुमार सिंह ने जमानत की मांग की और हत्या के प्रयास की धारा हटाने की अपील की। लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार नहीं किया। अधिवक्ता राकेश कुमार सिंह ने बताया कि अब जमानत के लिए उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।
वहीं, खानपुर विधायक उमेश कुमार की ओर से केस लड़ रहे वरिष्ठ अधिवक्ता उत्तम सिंह चौहान ने पुलिस की याचिका का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट में तर्क दिया कि चैंपियन के खिलाफ पर्याप्त सबूत पहले से मौजूद हैं, जिनमें वीडियो फुटेज और गवाहों के बयान शामिल हैं। कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार करते हुए पुलिस की याचिका को भी अस्वीकार कर दिया और चैंपियन की न्यायिक हिरासत बरकरार रखी।
26 जनवरी की रात क्या हुआ था?
गणतंत्र दिवस की शाम, 26 जनवरी को पूर्व विधायक प्रणव सिंह चैंपियन अपने समर्थकों के साथ खानपुर विधायक उमेश कुमार के कार्यालय पहुंचे। आरोप है कि उन्होंने कार्यालय में घुसकर फायरिंग की और स्टाफ के साथ मारपीट भी की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
इसके बाद, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 26 जनवरी को ही चैंपियन को देहरादून से गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन, 27 जनवरी को उन्हें हरिद्वार कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।
फिलहाल जेल में रहेंगे चैंपियन
चैंपियन और उनके सहयोगी अभी भी हरिद्वार जेल में बंद हैं। 7 फरवरी को कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को अस्वीकार कर दिया, जिससे अब उनकी रिहाई की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है। अब देखना होगा कि उच्च न्यायालय में उनकी अपील पर क्या फैसला आता है।