उद्यान घोटाले में सीबीआई ने दून, चंडीगढ़ व हिमाचल में मारे छापे

देहरादून (एजेंसी)। उत्तराखंड के बहुचर्चित करोड़ों के उद्यान घोटाले में सीबीआई की टीम ने उत्तराखंड सहित हिमाचल, चंडीगढ़ में छापे मारे हैं। सीबीआई ऑफिस वसंत विहार में कर्मचारियों से पूछताछ जारी है। उद्यान घोटाला मामले में सीबीआई ने तीन कर्मचारियों से पूछताछ कर रही है। आरोपी कर्मचारियों की गिरफ्तारी की भी पूरी संभावना है।

गौरतलब है कि पिछले साल अक्तूबर से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई थी। हिमाचल से डेपुटेशन पर आये उद्यान विभाग के निदेशक रहे बवेजा भो सीबीआई रडार पर बताए जा रहे हैं। अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती व अन्य ने जनहित याचिका दाखिल कर उद्यान विभाग में घोटाले का आरोप लगाया था।

याचिकाओं में कहा गया है कि उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला किया गया है। फलदार पौध की खरीद में गड़बड़ियां की गई है। उत्तरकाशी से भाजपा विधायक ने भी जिले की एक नर्सरी में हुई गड़बड़ी को लेकर तत्कालीन निदेशक बवेजा पर गम्भीर आरोप लगाते हुए वीडियो जारी किया था।

उद्यान विभाग में फलदार पौधों की ख़रीद में गड़बड़ी में हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने सीबीसीआईडी से इस जांच से संबंधित दस्तावेज हासिल कर लिए थे। इसमें पीई (प्राथमिक जांच) दर्ज कर सीबीआई ने जांच शुरू कर दी थी।

याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने दिए थे जांच के आदेश

विभाग ने एक ही दिन में वर्कऑर्डर जारी कर उसी दिन जम्मू कश्मीर से पौधे लाना दिखाया है। जिसका भुगतान भी कर दिया गया है। यही नहीं जिस कंपनी से पौधे खरीदवाना दिखाया उसे लाइसेंस ही उसी दिन मिला था। जिस दिन खरीद हुई। इन याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। शासन के निर्देश पर सीबीसीआईडी को यह जांच सौंपी गई।

लेकिन, याचिकाकर्ता इस जांच से संतुष्ट नहीं हुए। ऐसे में उन्होंने फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अक्तूबर में हाईकोर्ट ने इस जांच को सीबीआई के हवाले करने के आदेश दिए थे। इस मामले में उद्यान विभाग के डायरेक्टर को सस्पेंड भी किया जा चुका है।

करोड़ों के फर्जी बिल भी बने

मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर निदेशक ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। बरकत एग्रो को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया। यही नहीं बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए।

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