देहरादून (एजेंसी)। जल निगम जल संस्थान संयुक्त मोर्चा ने शहरी विकास की एजेंसी पर बिना पानी वाले शिवालिक चट्टान वाले इलाकों में भी ट्यूबवेल लगाने का आरोप लगाया। मोर्चा के बुधवार से प्रदेश स्तर पर शुरू हुए आंदोलन में पदाधिकारियों ने कहा कि इन स्थानों पर लगाए ट्यूबवेल से पानी नहीं मिल रहा है। ऐसा कर राज्य को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया है।
जल भवन नेहरू कालोनी में दिए गए धरने में संयोजक विजय खाली ने कहा कि एडीबी के पूर्व में कराए गए कार्यों की उच्च स्तरीय जांच बहुत जरूरी हो गई है। एक्सपर्ट इंजीनियरों से काम न कराने का खामियाजा आज पूरा राज्य भुगत रहा है। देहरादून में ऐसे स्थान जहां जमीन के नीचे शिवालिक चट्टान हैं, उन क्षेत्रों में 350 मीटर गहरे ट्यूबवेल खोद दिए गए।
जबकि पेयजल एजेंसियां ऐसे क्षेत्रों में ट्यूबवेल नहीं बनाती, क्योंकि यहां पानी नहीं मिलता है। जल निगम 150 मीटर की गहराई पर ट्यूबवेल तैयार करता है। शहरी विकास ने 350 मीटर खुदाई कर करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। अब इन ट्यूबवेल से पानी भी नहीं मिलता। जबकि पेयजल एजेंसियां इन क्षेत्रों को ट्यूबवेल निर्माण के लिहाज से पहले ही खारिज कर चुकी थी।
संयुक्त मंत्री कमल कुमार ने कहा कि नैनीताल, हल्द्वानी में 17 टैंक बनाए गए, इनमें से आठ लीक कर रहे हैं। अरबों लीटर पानी अभी तक लीक हो चुका है। लाखों की बिजली बिल का नुकसान हुआ। ऐसे में जिस एजेंसी को ब्लैक लिस्ट किया जाना था, उसे ही पूरे पेयजल, सीवरेज के कामों का जिम्मा थमा दिया गया। तत्काल सभी काम शहरी विकास से वापस लेकर पेयजल एजेंसियों को दिए जाएं।
पेयजल एजेंसियों का एकीकरण कर उन्हें राजकीय विभाग बनाया जाए। धरने में श्याम सिंह नेगी, गौरव बर्थवाल, अजय चौहान, मनवर बिष्ट, बचन सिंह, लाल सिंह, शिशुपाल रावत, जितेंद्र देव, रमेश बिंजौला, आशीष तिवारी, धन सिंह, संदीप मल्होत्रा, नंद कुमार तिवारी, जगत सिंह, रमेश चंद्र शर्मा, सरिता नेगी, ममता भाकुनी, संतोष पुंडीर, कांता देवी मौजूद रहे।