हरिद्वार। मातृ सदन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने भ्रष्टाचार को हमारे पतन का मुख्य कारण बताया और कहा कि भारत, जो कभी आर्यावर्त था, जहाँ ब्रह्मचर्य में स्थापित संत समाज का मार्गदर्शन करते थे, उस मार्ग से भटकने के कारण समाज आज घोर पतन की ओर अग्रसर है। बताते चलें कि मातृसदन आश्रम में नौ दिनों तक चली नवरात्रि साधना की रविवार को पूर्णाहुति की गई।
इस पावन अवसर पर नौ दुर्गा या शक्ति के नौ रूपों की तपस्या के समापन पर पूज्यपाद श्री गुरुदेव स्वामी श्री शिवानंद जी महाराज ने यज्ञ संपन्न किया और उपस्थित भक्तों को आशीर्वचन प्रदान किया। अपने आशीर्वचन में गुरुदेव ने माँ दुर्गा के नौ रूपों के आध्यात्मिक अर्थ और साधना के सच्चे सार को विस्तार से समझाया।
उन्होंने बताया कि इन रूपों के माध्यम से मानव जीवन में ऊर्जा, साहस, समर्पण, और विनम्रता के गुणों को जागृत किया जा सकता है। इस अवसर पर महान संत व वैज्ञानिक स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद जी की 7वीं पुण्यतिथि पर भी उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। यद्यपि उनकी पुण्यतिथि 11 अक्टूबर को थी, परंतु नवरात्रि के चलते आज उन्हें विशेष स्मरण किया गया।
सानंद जी के गंगा की अविरल धारा के लिए किए गए योगदान, भागीरथी के 125 किलोमीटर क्षेत्र को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित कराने, और लोहारी नागपाला सहित तीन जलविद्युत परियोजनाओं के निरस्त करने में उनके महत्वपूर्ण योगदान को विशेष रूप से याद किया गया।समारोह का समापन भक्तों को प्रसाद वितरण के साथ हुआ।