देहरादून: देश में विविधतापूर्ण सेवाएँ उपलब्ध कराने वाली नन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी, केप्री ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड बड़े पैमाने पर बदलाव लाने वाली अपनी सीएसआर पहलों के ज़रिये महिलाओं के विकास और उनके कौशल को बेहतर बनाने के क्षेत्र में अपना परचम लहरा रहा है। इस वित्त-वर्ष में 392 लाख रुपये की बड़ी धनराशि आवंटित की गई है, जिसके बेहद प्रभावित तरीके से उपयोग के लिए जनकल्याण के कार्यों में संलग्न केप्री ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड की शाखा ने महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, नागालैंड तथा मणिपुर में महिलाओं के विकास के लिए प्रसिद्ध सामाजिक संगठनों के साथ साझेदारी की है।
केवल वित्त वर्ष 2023-24 की बात की जाए, तो इस अवधि में केप्री की सीएसआर पहल ने 50,000 से ज्यादा महिलाओं को सशक्त बनाया है, और इसी इरादे के साथ आगे बढ़ते हुए कंपनी ने आने वाले 5 सालों में अतिरिक्त 2 लाख महिलाओं को अपनी पहलों से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। यह पहल सुलभ एवं किफायती वित्तीय सेवाओं, समुदाय के नेतृत्व वाले मॉडल और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने वाली पहलों के ज़रिये बाधाओं को तोड़ने और अधिक समतापूर्ण समाज बनाने पर केंद्रित है।
केप्री ग्लोबल कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर, श्री राजेश शर्मा इस बात पर जोर देते हैं कि कॉर्पोरेट कंपनियों, सरकार और सिविल सोसाइटी को एकजुट होकर काम करना चाहिए, ताकि वित्त, शिक्षा और संसाधनों तक सीमित पहुँच के साथ-साथ समाज के कायदे से जुड़ी बाधाओं को दूर किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि, महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में निवेश करना लैंगिक समानता, गरीबी को दूर करने और समावेशी आर्थिक विकास हासिल करने की कुंजी है।
केप्री ग्लोबल की सीएसआर पहल बयानबाजी से परे है, जो लगभग 40,000 महिला किसानों को सक्षम बनाने के उद्देश्य से देश के 4 राज्यों/क्षेत्रों में शुरू की गई “सतत कृषि आजीविका” परियोजनाओं में दिखाई देती है। इस पहल का उद्देश्य खेती के तरीकों में नई जान डालने, पोषक-तत्वों पर आधारित प्रक्रियाओं को अपनाने तथा डिजिटल टेक्नोलॉजी में ट्रेनिंग के ज़रिये ग्रामीण इलाकों में महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्वतंत्रता और खुशहाली को सुनिश्चित करना है।
केप्री ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड की रोजगार से जुड़ी पहलों में संचार, व्यवसाय और जीवन कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे 7,000 छोटी जोत वाली महिला किसानों (SHWF) को आजीविका के बेहतर अवसर के साथ-साथ आमदनी में स्थायी बढ़ोतरी में मदद मिली है। इन पहलों के तहत शुरू की गई गतिविधियों में खेती के तरीकों में नई जान डालने और पोषक-तत्वों पर आधारित प्रक्रियाओं को अपनाने के साथ-साथ पशुधन प्रबंधन, फलों के बगीचे और प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन (भूमि विकास और सिंचाई) शामिल हैं।
इसके साथ-साथ, केप्री की सीएसआर पहल स्थानीय महिला सहकारी समितियों के साथ मिलकर काम करके अपने प्रभाव के दायरे को बढ़ाती है। इस तरह प्रभाव की एक ऐसी लहर उत्पन्न होती है, जिससे न केवल छोटी जोत वाली महिला किसानों (SHWF) को मदद मिलती है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी बढ़ावा मिलता है। इस परियोजना का लक्ष्य खेती एवं बीजों को उपचारित करने के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने के साथ-साथ घन-जीवामृत जैसे जैविक खादों के उपयोग को बढ़ावा देना है। इसमें मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए गोमूत्र और नीम के तेल के घरेलू मिश्रण का उपयोग किया जाता है, और पर्यावरण संबंधी जागरूकता को बढ़ावा देते हुए बिना रसायन वाले कृषि उत्पादों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जाता है। बागवानी के लिए शुरू की गई पहल ने माता एवं शिशुओं की सेहत को बेहतर बनाने में भी योगदान दिया है।
इन सब बातों के अलावा, इस पहल में महिला उद्यमियों को उद्योग विशेषज्ञों के साथ जोड़ने वाले मेंटरशिप कार्यक्रम, बाज़ार संपर्क, कौशल के आदान-प्रदान और व्यावसायिक विकास के लिए सहयोगी नेटवर्क को बढ़ावा देना भी शामिल है। समुदाय के लिए सामूहिक केंद्रों की स्थापना की गई है, जहाँ जानकारी के आदान-प्रदान के लिए सत्रों के आयोजन के साथ-साथ महिलाओं को बाजार के ट्रेंड तथा आधुनिक तकनीकों के साथ सशक्त बनाया जाता है। कंपनी ने व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के साथ साझेदारी की है ताकि इस पहल के जरिए विशेष पाठ्यक्रमों की पेशकश की जा सके, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि महिलाएँ उद्योग जगत के उभरते मानकों से अवगत रहें, जिससे उनके आर्थिक विकास की संभावनाएँ और बढ़ें।
केप्री ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड का बहुआयामी दृष्टिकोण पारंपरिक तरीकों से महिलाओं के सशक्तिकरण की कोशिश से कहीं बढ़कर है, जिसमें शिक्षा, टेक्नोलॉजी, मार्गदर्शन, और पर्यावरणीय स्थिरता को एक साथ मिलाकर कम आय वाले और वंचित ग्रामीण समुदायों के जीवन को समग्र रूप से प्रभावित किया जाता है।
केप्री ग्लोबल कैपिटल लिमिटेड महिलाओं, बच्चों, युवाओं और समाज के कमजोर तबके के लोगों के आर्थिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य और आजीविका सशक्तिकरण को सबसे ज्यादा अहमियत देकर विभिन्न सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर अपना ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें अच्छी सेहत व खुशहाली, बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, नेक काम करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना तथा असमानता को कम करना शामिल है।