Exclusive News : सीएम का अभिनव प्रयोग, विरोधियों की आंख की किरकिरी

देहरादून (अनिल सती)। मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी का अभिनव प्रयोग राज्‍य में काफी सफल हो रहा है। यहां पुलिस की कमान अभिनव को देना सीएम के उन निर्णयों में से एक है जिसमें उन्‍होंने जनता की वाहवाही लूटी है। अभिनव कुमार ने जिस तरह से पुलिस कर्मियों में जज्‍वा जगाया और आम जनता में पुलिस की छवि को विश्‍वसनीय बनाया है उससे एक बात तो साफ है कि सीएम का यह अभिनव प्रयोग रंग लाने लगा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह प्रयोग कुछ लोगों के लिए किरकिरी बना हुआ है। कुछ लोग इस प्रयेाग को पचा नहीं पा रहे हैं। इसी को लेकर अब यहां चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

सीएम के द्वारा अभिनव कुमार को डीजीपी बनाने का निर्णय इस समय काफी चर्चाओं मे है, सीएम के कुछ धुर विरोधी राजनेता इसका सबसे अधिक विरोध कर रहे हैं। मुख्‍यमंत्री की चुगली हाई कमान करने वाले कुछ छुटभैये नेता जब उनका कुछ नही बिगाड़ पाए तो अब उन्‍होंने सीएम के करीबी माने जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ षड़यंत्र रचना शुरू कर दिया है। जिसमें चाहे डीजी सूचना बंशीधर तिवारी हों या फिर डीजीपी अभिनव कुमार।

जहां तक अभिनव कुमार की बात करें तो उनके खिलाफ पूरा षडयंत्र रचा जा रहा है कि किसी तरह से इस तेजतर्रार अधिकारी को पद से हटाकर सीएम के एक निर्णय पर कुठाराघात किया जा सके। इसी साजिश को देखते हुए 1996 बैच के आईपीएस अधिकारी और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभिनव कुमार ने उत्तराखंड सरकार द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को सौंपे गए पैनल में शामिल न किए जाने पर अपनी आपत्ति व्यक्त की है।

उन्होंने राज्य की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को दिए ज्ञापन में औपचारिक रूप से इस मुद्दे को उठाया है, जिसमें दावा किया गया है कि यूपीएससी का निर्णय उच्च न्यायालय द्वारा जारी स्थगन आदेश का उल्लंघन करता है। इस बारे में पूछे जाने पर डीजीपी अभिनव कुमार ने एएनआई को बताया कि उन्होंने 30 सितंबर को हुई डीपीसी के बाद राज्य सरकार को अपना ज्ञापन दिया है, जिस पर सरकार कानूनी राय लेने के बाद पुनर्विचार के लिए यूपीएससी को भेज रही है।

डीजीपी ने बताया कि डीपीसी की बैठक में मुख्य सचिव ने भी राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अपना असहमति पत्र दिया था, जो डीपीसी की कार्यवृत्त में शामिल है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि यूपीएससी मुख्य सचिव के असहमति पत्र पर पुनर्विचार करेगी, उनका यह प्रत्यावेदन राज्य सरकार द्वारा विधिक राय लेने के बाद भेजा गया है। आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार ने अपने प्रत्यावेदन में गृह मंत्रालय से राज्य सरकार से पैनल का प्रस्ताव दोबारा मांगकर यूपीएससी के निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार ने अपने प्रत्यावेदन में कहा है कि वर्ष 1996 में उन्हें गृह कैडर आवंटित किया गया था, क्योंकि उनका गृह जिला बरेली है, लेकिन अगस्त 2000 में उत्तराखंड राज्य की घोषणा हो गई और सितंबर 2000 में उन्होंने उत्तराखंड कैडर चुना, लेकिन नवंबर 2000 में राज्य गठन के समय उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर में ही रखा गया। इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिए अभिनव कुमार ने उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों की सहमति से भारत सरकार को प्रत्यावेदन दिया था, जिसे भारत सरकार ने वर्ष 2005 में खारिज कर दिया था।

भारत सरकार के इस निर्णय को अभिनव कुमार ने सक्षम न्यायालय में चुनौती दी थी। वर्ष 2014 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस मामले में अभिनव कुमार के पक्ष में स्थगन आदेश दिया था, जो आज भी प्रभावी है। कैट इलाहाबाद के आदेश के अनुसार अभिनव कुमार अभी भी उत्तराखंड कैडर में कार्यरत हैं। मुख्य सचिव को दिए प्रत्यावेदन में अभिनव कुमार ने कहा कि 24 वर्ष की सेवा के दौरान उन्हें सभी पदोन्नतियां उत्तराखंड सरकार ने दी हैं। अंतिम बार एक जनवरी 2021 को उन्हें उत्तराखंड में ही एडीजी पदोन्नति दी गई थी।

पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उन्हें कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया था। इससे पहले वह जुलाई 2021 से नवंबर 2023 तक मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं। उत्तराखंड में 24 साल सेवा देने के बावजूद 30 सितंबर 2024 को यूपीएससी ने अभिनव कुमार का नाम उत्तराखंड डीजीपी के पैनल में शामिल करने से इनकार कर दिया था।

आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार ने यूपीएससी के इस फैसले को हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के खिलाफ बताया है। प्रत्यावेदन में उन्होंने कहा है कि यूपीएससी के फैसले ने उत्तराखंड में उनकी 24 साल की सेवा को नकार दिया है।

प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को दिए प्रत्यावेदन के जरिए आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार ने गृह मंत्रालय से राज्य सरकार से दोबारा डीजीपी पैनल का प्रस्ताव मांगकर यूपीएससी के इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रभारी डीजीपी अभिनव कुमार समेत 6 आईपीएस अफसरों के नाम यूपीएससी को भेजे गए थे।

आयोग ने 1995 बैच के दो आईपीएस अफसरों के साथ ही 1997 बैच के एक अफसर का नाम शामिल किया और 1996 बैच के अभिनव कुमार का नाम सूची से बाहर कर दिया। उल्लेखनीय है कि आईपीएस अधिकारी अभिनव कुमार उत्तर प्रदेश के समय से ही उत्तराखंड में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

उत्तराखंड में ही उन्हें एएसपी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से लेकर अपर पुलिस महानिदेशक तक पदोन्नति मिली है। बहरहाल अभी इस मामले में संशय के बादल छाए हुए हैं और अब देखना ये है कि क्‍या सीएम का ये अभिनव प्रयोग सफल होता है या फिर कुछ राजनेताओ की साजिश की भेंट चढ़ जाता है।

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