देहरादूनः उत्तराखंड में लगातार हो रहे नए नए किस्म के अपराध और उन अपराधों में बढ़ोतरी को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में चिंता जाहिर करते हुए कहा की राज्य में जिस तरह के नए अपराध हाल फिलहाल में घटित हो रहे हैं वह पहले कभी सुनने को नहीं मिले? उत्तराखंड की छवि हमेशा ही एक शांति प्रिय प्रदेश की रही है और उत्तराखंड राज्य में लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घटनाएं पहले कभी सुनने या देखने को नहीं मिली।
इन घटनाओं के मध्य नजर राज्य सरकार ने ऐसे लोगों पर कड़ा एक्शन लेने की बात कही है इस पर दसौनी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा की सरकार और प्रशासन को ऐसे लोगों को चिन्हित तो होना ही चाहिए जो उत्तराखंड के सौहार्द और समाज में जहर घोलने की मंशा से उक्त घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं परंतु साथ ही साथ आत्म अवलोकन करने की भी जरूरत है की जो घटनाएं पहले कभी सुनने को नहीं मिली वह आज उत्तराखंड में क्यों घटित हो रही हैं? दसौनी ने कहा कि यह घटनाएं हमारे पर्यटन के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर है।
उत्तराखंड की रीड की हड्डी है उसका धार्मिक, साहसिक और मेडिसिनल पर्यटन। ऐसे में एक सुरक्षित और भरोसेमंद उत्तराखंड कि हमारी छवि को इन घटनाओं से बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है। दशौनी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के बाहरी और भीतरी अल्पसंख्यक वाले बयान पर भी प्रतिक्रिया दी है।गरिमा ने कहा की यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण विषय है की यह मौका उन्हें राजनीतिक रोटियां सेंकने का दिखाई पड़ रहा है। दसौनी ने कहा की यह सारी घटनाएं कानून व्यवस्था से संबंधित हैं
ऐसे में इस ओर विचार करने के बजाय के प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर में कहां कमी रह गई जो अपराधियों के मंसूबे दिन प्रतिदिन मजबूत होते जा रहे हैं सत्ता रूढ़ दल के अध्यक्ष को सियासत करने की सूझ रही है? दसौनी ने महेंद्र भट्ट से पूछा कि उनकी सरकार ने जिस मुफ्ती शामून काजमी को मदरसा बोर्ड का चेयरमैन बनाया है वह बिजनौर से ताल्लुक रखते हैं। वही खालिद मंसूरी जिसे छे महीने पहले वक्फ बोर्ड ने विकास नगर मस्जिद का सदर बनाया था वह उत्तर प्रदेश का वांटेड क्रिमिनल है जिसे सहारनपुर पुलिस पिछले दिनों गिरफ्तार करके ले गई।
क्या उसे मस्जिद का सदर बनाने से पहले उसका बैकग्राउंड चेक नहीं किया गया था? दसौनी ने कहा कि क्या महेंद्र भट्ट कोरोना काल में बद्रीनाथ के विधायक पर के तौर पर दिए गए अपने उस बयान को भूल गए जिसमें उन्होंने एक बहुत ही भड़काऊ और सांप्रदायिक बयान देते हुए कहा था कि राज्य के हिंदुओं को नाई की दुकान में जाने से पहले हनुमान जी की तस्वीर है या नहीं यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए। गरिमा ने कहा कि दरअसल भट्ट जी को भूलने की बीमारी है
और अब निकाय पंचायत और केदारनाथ उपचुनाव के मध्य नजर महेंद्र भट्ट इतनी गंभीर और संवेदनशील मुद्दों पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। दसोनी ने कहा की महिला अपराध हत्या डकैती लूट में तो बढ़ोतरी हो ही रही है पर लव जिहाद और थूक जिहाद जैसी घटनाएं तो उत्तराखंड में आज से पहले कभी नहीं हुई क्या इसकी जिम्मेदारी लेगी राज्य सरकार? दसोनी ने कहा कि प्रदेश के सौहार्द के साथ किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए यह उत्तराखंड की सामाजिक ताने-बाने के लिहाज से शुभ संकेत नहीं है जो सभी प्रदेश वासियों के लिए चिंता का विषय है।