ट्रूकॉलर ने भारत में यूपीआई का उपयोग करके नेम वेरीफिकेशन सेवा की शुरुआत की

देहरादून। ट्रूकॉलर ने देहरादून उत्तराखंड सहित सम्पूर्ण भारत में प्रीमियम सेवाओं के सभी यूजर्स के लिए ब्लू टिक वेरिफिकेशन की शुरुआत की है। इस नई वेरीफाइड बैज सेवा की मदद से यूजर्स को सरकार के सहयोग से संचालित यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) के ज़रिये अपनी पहचान को वेरीफाई करने की सुविधा मिलती है, और इस तरह वे आपने सही नाम की पुष्टि कर सकते हैं। बीते कुछ सालों के दौरान वेरीफाइड बैज एक ऐसे फीचर के तौर पर सामने आया है, जिसकी मांग ट्रूकॉलर के यूजर्स के बीच सबसे ज़्यादा है।

ज़्यादातर यूजर्स ने यह इच्छा जाहिर की है कि इसे प्राप्त करने के तरीके को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाया जाए। लोगों की इस ज़बरदस्त मांग को पूरा करने के लिए ट्रूकॉलर ने वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को नया रूप दिया है, ताकि उन्हें ज़्यादा सटीक और भरोसेमंद समाधान उपलब्ध कराया जा सके। ट्रूकॉलर के इस नए वेरीफाइड बैज फीचर में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (यूपीआई) के ज़रिये बाहरी वेरीफिकेशन की सुविधा का उपयोग किया जाता है।

इस तरह, देश के बड़े वित्तीय संस्थानों द्वारा अपनाए गए भरोसेमंद तरीकों का उपयोग करके यूजर्स की पहचान प्रमाणित की जाती है। इसमें यूजर्स को यूपीआई से प्राप्त जानकारी के आधार पर खुद से वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू करने की सुविधा मिलती है, जिसके लिए उन्हें वह नाम चुनना होता है जिसे वे प्रदर्शित करना चाहते हैं। ट्रूकॉलर के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर एवं एमडी, ऋषित झुनझुनवाला ने कहा, “हमने अपने प्रीमियम यूजर्स के फीडबैक को ध्यान में रखकर इस नए वेरीफाइड बैज को लॉन्च किया है, जो चाहते हैं

कि उनके पास अपनी पहचान को प्रमाणित करने के लिए अधिक दमदार और भरोसेमंद तरीका उपलब्ध हो। इसके लिए, हमने यूपीआई पर आधारित वेरिफिकेशन को इससे जोड़ा है। इस तरह, बड़े पैमाने पर अपनाए गए और पूरी तरह सुरक्षित तरीके का लाभ उठाकर हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि, हमारे प्लेटफ़ॉर्म पर लोगों की पहचान बिल्कुल सही और भरोसेमंद हो। इस फीचर के लॉन्च से यह बात जाहिर होती है कि हम अव्वल दर्जे की सेवाएँ उपलब्ध कराने पर अपने इरादे पर अटल हैं।

यह हमारे यूजर्स को पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी डिजिटल उपस्थिति पर नियंत्रण रखने में भी सक्षम बनाती है। हम मानते हैं कि, हमारी यह पहल संचार को सभी के लिए सुरक्षित बनाने के हमारे विज़न की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है। इसकी शुरुआत भारत में हो रही है, लेकिन जल्द ही इसे दूसरे देशों में भी शुरू किया जाएगा।

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