नई दिल्ली: जाने-माने आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू के नेतृत्व में न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में नौ दिवसीय राम कथा का आयोजन जारी है। पांचवें दिन के प्रवचन में बापू ने श्रोताओं के साथ एक गहरा संवाद किया, जिसमें उन्होंने चर्चा की कि इस कथा से सबसे अधिक खुशी किसे मिली होगी। बापू ने कहा कि “जिसके भाग्य में खुशी ना लिखी हो वह नाखुश है, लेकिन 10 साल पहले स्व. नगीनदास संघवी ने यूनो भवन में कथा करने की इच्छा व्यक्त की थी। आज नगीनदास बापा की चेतना सबसे ज्यादा खुश होगी।”
बापू ने ऋग्वेद के सामंजस्य सूक्त का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सूक्त पूरी दुनिया में समानता कैसे लाई जा सकती है, इसका मार्गदर्शन करता है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के 17 सूत्रों में से पहले 16 सूत्रों की कथा वह पहले ही सुना चुके हैं और यह 17वीं कथा भी एक योग है। बापू ने रामायण की चर्चा करते हुए कहा, “राम अयोध्या में इसलिए प्रकट हुए क्योंकि वहां युद्ध नहीं होता। यदि पूरी दुनिया अवध बन जाए तो हर घर में राम प्रकट हो सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि विश्व शांति के लिए पांच अमृत और तीन विष हैं, जिन्हें हमें पहचानना चाहिए। यज्ञ के पांच अंगों – मंत्र, द्रव्य, विधि, सद्भाव और विवेक – पर जोर देते हुए बापू ने कहा कि कथा का असली उद्देश्य वक्ता और श्रोता के बीच एक भावनात्मक जुड़ाव स्थापित करना है। बापू ने सामंजस्य सूत्र का पाठ करते हुए कहा कि पूरी दुनिया को एक स्वर में गाने की आवश्यकता है: “मिले सुर मेरा तुम्हारा।” उन्होंने विषम परिस्थिति, भेद और विषय को तीन प्रकार के विष बताया और क्षमा, विनम्रता, संतोष, दया, और सत्य को पांच अमृत बताया।
बापू ने कहा, “क्रोध जहर है, जबकि क्षमा अमृत है। कठोरता जहर है, जबकि सरलता अमृत है।” इस अवसर पर, बापू ने शिव और सती के संवाद का उदाहरण देते हुए परमात्मा के अवतार के पांच कारण भी बताए, जो शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध के माध्यम से रावणत्व और राम के प्रकट होने के कारण बन सकते हैं। यह कथा न केवल आध्यात्मिक ज्ञान का संचार करती है, बल्कि विश्व में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी प्रदान करती है।