देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा ने पांचों लोकसभा सीटें बड़े अंतर के साथ जीत ली हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जोड़ी का जादू उत्तराखंड की जनता पर सिर चढ़कर बोला। इस जोड़ी ने पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत का मार्ग प्रशस्त किया।
पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा को भले ही बड़ा झटका लगा हो, लेकिन उत्तराखंड से भाजपा को बड़ी राहत मिली। यूपी के अप्रत्याशित नतीजों के बीच उत्तराखंड से पांचों सीटें बड़े अंतर से जीतने के पीछे मोदी धामी की जोड़ी के जनता के बीच कायम जादू को बड़ी वजह माना जा रहा है। शत प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा ने पांचों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है।
सीएम धामी ने लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड के भीतर 109 चुनावी सभाओं के जरिए माहौल बनाया था। इसके अलावा देश भर में भी उनके 95 के करीब चुनावी कार्यक्रम हुए। उत्तराखंड में सीएम धामी के ताबड़तोड़ चुनावी सभाओं का बड़ा असर रहा। इस धुंआधार प्रचार से भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में जबरदस्त माहौल बना। सीएम चुनाव प्रचार के दौरान उत्तराखंड की जनता के मिजाज को भांपने में सफल रहे।
सीएम ने दिसंबर से ही चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया था। महिला सम्मेलन, युवा सम्मेलन के जरिए जनता से सीधा संवाद बनाने का जो क्रम शुरू किया, वो चुनाव अभियान के दौरान तक जारी रहा। अस्कोट से लेकर आराकोट तक सीएम धामी का ताबड़तोड़ चुनाव अभियान जारी रहा।
सीएम धामी के आम जनता में इस प्रभाव को भांपते हुए ही केंद्रीय संगठन ने उनका इस्तेमाल उत्तराखंड से बाहर भी जमकर किया। राज्य से बाहर उनके करीब 95 चुनाव कार्यक्रम आयोजित किए गए। कई राज्यों में तो स्टार प्रचारकों की लिस्ट में सीएम धामी का नाम टॉप फाइव तक में रहा।
देहरादून। पौड़ी लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अनिल बलूनी ने बंपर जीत दर्ज कराई है। अनिल बलूनी ने कांग्रेस के गणेश गोदियाल को हराया है। बता दें गढ़वाल लोकसभा सीट अनिल बलूनी के लिए टफ दिख रही थी। कांग्रेस कैंडिडेट गणेश गोदियाल ने सोशल मीडिया से लेकर रैलियों में जमकर बलूनी के खिलाफ माहौल बनाया। एक वक्त ऐसा लग रहा था कि अनिल बलूनी ये सीट हार जाएंगे, मगर आखिर में अनिल बलूनी ने पौड़ी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। अनिल बलूनी उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं। अनिल बलूनी को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है। वे पीएम मोदी के चुनावी कैंपेन संभाल चुके हैं। अनिल बलूनी बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी भी हैं। अनिल बलूनी नकोट गांव के रहने वाले हैं। नकोट गांव पौड़ी जिले में आता है. अनिल बलूनी में अपनी राजनीति की शुरूआत भी पौड़ी जिले से ही की। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुये। जिसमें अनिल बलूनी भी चुनाव लड़े। साल 2002 में अनिल बलूनी ने बीजेपी के टिकट पर कोटद्वार विधानसभा से नोमिनेशन किया। इस बार उनकी नॉमिनेशन रद्द कर दिया गया, जिसके बाद अनिल बलूनी नोमिनेशन रद्द मामले को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए। साल 2014 में बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिली। 2014 में बलूनी को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसमें उन्होंने अभूतपूर्व काम किया।
देहरादून। नैनीताल लोकसभा सीट पर भाजपा कैंडिडेट अजय भट्ट ने बंपर जीत हासिल की है। अजय भट्ट ने कांग्रेस कैंडिडेट प्रकाश जोशी को बुरी तरह से हराया। जीत के बाद अजय भट्ट ने कार्यकर्ताओं के साथ जनता का आभार जताया है। अजय भट्ट ने इस जीत को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है। अजय भट्ट ने कहा देश की कहा नैनीताल जनपद की जनता का प्यार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिला है। अजय भट्ट बीजेपी के वरिष्ठ नेता है। वे मोदी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री रह चुके हैं। अजय भट्ट उत्तराखंड बीजेपी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उनका राजनीतिक रूप से भाजपा में एक लंबा सफर रहा है। अजय भट्ट मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत क्षेत्र से आते हैं, अजय भट्ट का शैक्षणिक योग्यता देखें तो उन्होंने अल्मोड़ा कॉलेज से बी ए एलएलबी किया है। कानून की पढ़ाई करने के साथ ही उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के सफर को शुरू किया। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान भी अजय भट्ट ने महत्वपूर्ण और सक्रिय भूमिका को अदा किया। इसके बाद 1996 में उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ जीत हासिल की। राज्य स्थापना के बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल कर विधानसभा का सदस्य बनने में कामयाबी हासिल की। इसके बाद साल 2012 के विधानसभा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे, इस दौरान सरकार कांग्रेस की बनी लिहाजा वह नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए चुने गए। इसके अलावा अजय भट्ट ने संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और वह उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी बन गए।
देहरादून। उत्तराखंड की टिहरी लोकसभा सीट पर भी बीजेपी ने जीत दर्ज की है। टिहरी लोकसभा सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी माला राज्यलक्ष्मी शाह ने जीत दर्ज की है। इस जीत के साथ माला राज्यलक्ष्मी शाह ने अपने विजय रथ को जारी रखा है। टिहरी लोकसभा सीट पर माला राज्यलक्ष्मी शाह ने कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला को हराया। इस सीट पर निर्दलीय बॉबी पंवार भी टक्कर में थे। टिहरी सीट पर हुये रोचक मुकाबले में आखिर एक बार फिर से माला राज्यलक्ष्मी शाह ने खुद को साबित किया। बता देंमाला राज्यलक्ष्मी शाह राजशाही परिवार से आती हैं। वे टिहरी राजघराने की बहू हैं। माला राज्य लक्ष्मी शाह कद्दावर नेता मानवेन्द्र शाह की बहू हैं। .राजा मानवेन्द्र शाह 9 बार सांसद रहे। संभवत सबसे लंबे समय तक सांसद रहे। माला राज्य लक्ष्मी उत्तराखंड की पहली महिला सांसद हैं। 2012 में अपने सांसद ससुर मानवेन्द्र शाह के निधन के बाद पहली दफा उपचुनाव में जीती थी। पहली बार उन्होंने उप चुनाव में विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा को हराया। माला राज्य लक्ष्मी शाह 2012 से लगतार 3 बार की सांसद हैं।
देहरादून। उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशी विजयी रहे हैं। कुमाऊं मंडल की दोनों अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ और नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट पर भाजपा प्रत्याशियों ने बड़े अंतर से जीत हासिल की है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर अजय टम्टा ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टम्टा को करीब 2 लाख वोटों के अंतर से हराया है। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट पर अजय टम्टा ने जीत हासिल करने के साथ ही जीत की हैट्रिक लगा ली है। इससे पहले अजय टम्टा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल कर चुके हैं। दोनों ही चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को ही पटखनी दी। उस दौरान भी अजय टम्टा के जीत का अंतर काफी रहा था।
हरिद्वार। हरिद्वार संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बाजी मार ली है। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को 1.40 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया है। जबकि तीसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी उमेश कुमार रहे। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2024 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने के बाद अब उत्तराखंड की जनता की आवाज संसद में उठाएंगे। हालांकि, इससे पहले त्रिवेंद्र सिंह 2017 से 2021 तक करीब 4 साल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने प्रदेश के लिए कई बड़े फैसले लिए। हालांकि, मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें कोई बड़ा पद नहीं मिला। 2024 में भाजपा ने त्रिवेंद्र को मेनिफेस्टो कमेटी की जिम्मेदारी दी। त्रिवेंद्र सिंह रावत 19 वर्ष की आयु में संघ से जुड़े। 1979 में त्रिवेंद्र ने आरएसएस की सदस्यता ली। 1985 में त्रिवेंद्र सिंह रावत देहरादून महानगर प्रचारक बने। संघ प्रचारक के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत ने समाज के साथ ही राजनीति को बारीकी से जाना। इसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भाजपा ज्वाइन की। भाजपा के साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत संघ में भी सक्रिय रहे।