देहरादून। श्रीमद् भागवत सेवा जनकल्याण समिति द्वारा द्वितीय दिवसीय कथा में आचार्य पवन नंदन जी महाराज के मुखारविंद द्वारा कथा का गुणगान किया गया, उन्होंने प्रकाश डालते हुए बताया की धरती पर जन्म लेने पर तीन कर्म अवश्य करने चाहिए, कथा का सम्मेलन कथा का श्रवण कीर्तन और भगवान का स्मरण धरती पर सुख सिर्फ भक्ति से ही प्राप्त किया जा सकता है।
भक्ति अनुकूल संत के मिलने से प्राप्त होती है, संत की प्राप्ति पूर्ण पूंजी एकत्र होने से होती है। इसलिए हमेशा सत्य मार्ग पर चलें जिसका कोई गुरु नहीं उसका जीवन शुरू नहीं। श्रीमद् भागवत सेवा समिति द्वारा देहरादून में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य पवन नंदन ने श्रद्धालुओं से व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि मोक्ष के दरवाजे के ताले की चाबी मनुष्य शरीर है। विभिन्न योनियों के रूप में चाबियां तो चौरासी लाख है, लेकिन मोक्ष के दरवाजे में कोई फिट नहीं बैठती। मनुष्य जन्म प्राप्त कर मोक्ष की चाबी हाथ लगने पर भी ताला न खोलें तो उससे बड़ा अभागा कोई नहीं। मनुष्य शरीर रूपी चाबी को संसार की ओर मोड़ दिया तो संसार हमें बांधने लगा और माधव के चरणों की ओर मोड़ दिया तो यही मन तुम्हारी मुक्ति का हेतु बन जाएगा।
मनुष्य शरीर साधनों का धाम है, मनुष्य शरीर से साधना कर सकते हैं, उस परम तत्व को जान सकते हैं, इसलिए इस मनुष्य शरीर रूपी चाबी का सदुपयोग करना चाहिए। इसके साथ उन्होंने कर्दम ऋषि देवहूति विवाह कपिल देव द्वारा मां देवहूति को उपदेश सती का आत्मदाह ध्रुव चरित्र प्रियव्रत चरित्र कथा का वर्णन भी किया।
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव के दौरान संकीर्तन में भक्त भक्ति में सराबोर हो गए। आज के इस भव्य कार्यक्रम में मुख्य रूप से अध्यक्ष प्रेम सिंह भंडारी, सचिव नवीन जोशी, अभिषेक परमार, विनोद राई, प्रदीप राई, कैलाश चंद भट्ट, केवलानंद लोहानी, प्रमिला नेगी, मालती राई, कैलाश भट्ट, गीता, विमला, ईश्वर सिंह नेगी, धन सिंह फर्त्याल, दीपक सिंह गोसाई आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।