Uttarakhand : सैम पित्रोदा के बयान पर सीएम धामी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

देहरादून। इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा के बयान ने देश में सियासत बढ़ा दी है। सैम पित्रोदा ने अमेरिका के इन्हेरिटेंस टैक्स यानी विरासत टैक्स की वकालत की है। जिसके बाद बीजेपी को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया है। बीजेपी इस मामले में कांग्रेस को घेरने में जुट गई है। वहीं इस मामले में सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस पल्ला झाड़ती दिखाई दे रही है। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सैम पित्रोदा के बयान पर कांग्रेस पर निशाना साधा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सलाहकार सैम पित्रोदा ने कांग्रेस के मंसूबों को जनता के सामने रख दिया है। सीएम धामी ने आगे कहा कि देश को लूटने का इरादा रखने वाली पार्टी जनता की संपत्ति का सर्वे करवाना चाहती है और उनकी मेहनत से जोड़ी हुई निजी संपत्ति का अधिग्रहण करना चाहती है। आगे कहा कि कांग्रेस वोट बैंक और तुष्टिकरण के लिए विशेष वर्ग के बीच बांटना चाहती है।

जानें सैम पित्रोदा का बयान : इडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि अमेरिका में विरासत कर लगता है। यदि किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब वह मर जाता है तो वह केवल 45 फीसदी अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है। 55 प्रतिशत सरकार द्वारा हड़प लिया जाता है। यह एक दिलचस्प कानून है।

इसमें कहा गया है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब जा रहे हैं, आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए, पूरी नहीं, आधी, जो मुझे उचित लगती है। मुद्दों पर लोगों को बहस और चर्चा करनी होगी : सैम पित्रोदा ने कहा,’भारत में आपके पास वह नहीं है। यदि किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है, तो उसके बच्चों को 10 अरब मिलते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता।

तो ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर लोगों को बहस और चर्चा करनी होगी। मुझे नहीं पता कि दिन के अंत में निष्कर्ष क्या होगा लेकिन जब हम धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए कार्यक्रमों के बारे में बात कर रहे हैं जो लोगों के हित में हैं न कि केवल अति-अमीरों के हित में। कांग्रेस पार्टी बनाएगी नीति: इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने आगे कहा, ‘यह एक नीतिगत मुद्दा है।

कांग्रेस पार्टी एक नीति बनाएगी जिसके माध्यम से धन वितरण बेहतर होगा। हमारे पास न्यूनतम वेतन नहीं है। भारत में अगर हम देश में न्यूनतम वेतन तय करते हैं और कहते हैं कि आपको गरीबों को इतना पैसा देना होगा, तो यह धन का वितरण है। आज अमीर लोग अपने चपरासियों, नौकरों और घरेलू नौकरों को भुगतान नहीं करते हैं।

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