देहरादून (एजेंसी)। चुनाव आचार संहिता लगने के बाद जहां एक ओर पूरा अमला चुनाव सम्पन्न कराने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं वहीं दूसरी ओर खनन विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी से माफिया लगातार नदियों का सीना चीर रहे हैं। इनको कोई रोकने वाला नहीं है। रविवार को माफियाओ ने दर्जनों मशीनों को नदियों में उतार कर पानी में ही खनन करना शुरू कर दिया, लगातार विभागीय अधिकारियों को शिकायत के बाद भी कोई मौके पर नहीं पहुंचा।
बतातें चलें कि पिछले लम्बे समय से पछवादून में खनन माफियाओं ने आतंक मचाया हुआ है। यहां छोटी से लेकर बड़ी नदी तक को माफियाओं ने नहीं बख्शा है। कभी निजी पट्टों के नाम पर तो कभी एन एच के नाम पर माफिया लगातार नदियों का सीना चीरने पर लगे हुए हैं। हालात यह है कि पहले जब हाईकोर्ट ने नदियों में मशीनों से खनन पर रोक लगाई थी तो माफिया अधिकारियों के साथ मिलकर चोरी छिपे नदियों का सीना चीरने पर लगे हुए थे। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट से नदियों की सफाई के नाम पर मशीनों से खनन की परमिशन मांगी तो अधिकािरयों की वल्ले वल्ले हो गयी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ साफ कहा कि किसी भी ऐसी नदी में खनन नहीं किया जाएगा जिसमें पानी बह रहा हो। खनन सिर्फ उस स्थान पर होगा जहां नदियों में मलबा भरा हुआ होगा। इसी आदेश को हथियार बनाते हुए अधिकारियों और माफियाओं के गठजोड़ ने कमाल करना शुरू कर दिया। यहां ड्रेजिंग के नाम पर अवैध खनन को वैध रूप दिया जा रहा है।
नदियों में हाईकोर्ट के आदेशों को ताक पर रख कर लगातार दर्जनों मशीनों को नदियों में उतार कर हर रोज लाखों का खनन कर सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। इसमें खनन विभाग के अधिकारियों की मीलीभगत साफ दिखाई दे रही है। जिला खनन अधिकारी तो ऐसे अधिकारी हैं जो कि पूरी तरह से आंखे मूंदे बैठै हैं। ये अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी गुमराह करने से नहीं चूक रहे हैं।
कई बार इनको स्थानीय लोग सूचना देते हैं और ये साफ साफ कहते हैं कि वरिष्ठ अधिकारियों को पूरी जानकारी है मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ। इस तरह से इन अधिकारियों की मिली भगत से एन एच के नाम पर और ड्रेजिंग के नाम पर नदियों का सीना चीरा जा रहा है।