चमोली (प्रदीप लखेड़ा): जनपद चमोली अंर्तगत कुमांऊ सीमा से लगे देवाल विकासखंड स्थित ऐतिहासिक नंदादेवी राजजात के मुख्य पड़ाव को जोड़ने वाले पैदल मार्ग सहित मुख्य पर्यटक स्थल ब्रह्मताल, रुपकुड, वेदनी, आली, बगजी बुग्याल, भेकलताल में बर्फबारी के बाद इन दिनों पर्यटकों की आमद से ग्रामीण खुश हैं।
लेकिन इन पर्यटक स्थलों के पहुंच पैदल मार्गों की स्थिति ठीक नहीं है जिसके लिए वन विभाग से प्रस्ताव मांगे गए है फिलहाल स्वच्छता, पेयजल के लिए जिसपर अब पर्यटन विभाग द्वारा 34 लाख रुपये की धनराशि निर्गत कर आवश्यक सुविधाएं बहाल करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो इन पर्यटक स्थलों से हर वर्ष 30 हजार से अधिक राजस्व वन विभाग को मिलता है ।
बाबजूद इसके खूबसूरत पर्यटक स्थलो को जाने वाले रास्तों के हाल खस्ताहाल बने हैं और ना ही इन पर्यटक स्थलों में मूलभूत सुविधाओं का टोटा यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को परेशान भी करता है। देवाल स्थित होमकुंड, ज्यूरागली, रूपकुंड, केलुवाविनाक, पातरनचौनिया, बगुवावासा, वेदनी,आली, बगजी बुग्याल, भेकलताल, ब्रह्मताल, आयनटाप, नागाड, मानेश्वर महादेव गुफा मोपाट प्रकृति का नूर प्रसिद्ध है।
और इन पर्यटक स्थलों का केन्द्र बिन्दु देवाल है, जहां से वांण, लोहाजंग, कुलिग बेस कैम्प में सैकड़ों देशी-विदेशी पर्यटकों की आवाजाही होती है। यहां से इन सभी पर्यटन स्थलों में अपने साथ खाने पीने रहने का सामान खुद पर्यटक पैदल सफर कर ढोते हैं जबकि थराली -देवाल, लोहाजंग -वाण मोटर सड़क उबड़-खाबड़ होने से पर्यटक हिचकोले खाते हुए यहां पहुंचते है।
वहीं लोहाजंग ब्रह्मताल व रूपकुंड रूट पर पानी, दूरसंचार, इंटरनेट, सुरक्षा , अस्थायी शौचालय, व प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं होने से पर्यटकों को भारी दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है। हिमालयन हैकर के प्रबंधक विक्रम सिंह व गाइड सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि पर्यटन से क्षेत्र के स्थानीय पर्यटन कारोबारियों को रोजगार मिल रहा है।
50 से अधिक लोग पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कर लोगों की आजीविका का यह साधन है लेकिन सरकार द्वारा लोहाजंग व वाण में वाहन पार्किंग सुविधा भी नहीं है जबकि रास्तों की हालात बेहद खराब है। वन विभाग से मिले आंकड़ों स 2022 में ब्रह्मताल रूट पर 17 विदेशी व 4560 देशी, वर्ष 2023 में 27 विदेशी व 4538 देशी , जनवरी फरवरी 2024 तक 250 पर्यटक पहुंचे हैं।
देशी पर्यटक पर एक दिन का प्रवेश शुल्क 60रू. व विदेशी के लिए 120 रुपये, फायवर हट का देशी 200 रुपये व विदेशी के लिए 400 रुपये शुल्क वन विभाग लेता है। स्थल वन विभाग के अधीन हैं। यहां जानै वाले पैदल रास्ते जगह जगह पर उबड़-खाबड़ है। इन रास्तों के सुधारीकरण व रखरखाव के लिए कार्य योजना बनाई गई है।