चमोली (प्रदीप लखेड़ा): आपदा प्रभावितों ने सरकार से उन्हें नगर के आसपास उनकी सुरक्षित भूमि पर ही विस्थापित करने की मांग की। उन्होंने मांग को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा। कहा कि पुश्तैनी निवासी और बाहर से आकर बसे लोगों के हितों में भिन्नता है।इसलिए उनका विस्थापन अन्यत्र नहीं होना चाहिए। उक्त जगह पर मूलभूत सुविधाओं के साथ घर बनाकर लोगों को आवंटित करें तो असुरक्षित भूमि का नहीं लेंगे मुआवजा।
ज्ञापन में लोगों ने कहा कि जोशीमठ के पुश्तैनी निवासी और बाहर से आकर बसे लोगों के हितों में भिन्नता है। इसलिए उनका विस्थापन अन्यत्र नहीं होना चाहिए। हमारी जोशीमठ के आसपास सुरक्षित पुश्तैनी भूमि है जहां मूलभूत सुविधाओं का विकास कर भवन बनाकर उन्हें विस्थापित किया जाए। जिन पुश्तैनी लोगों के पास सुरक्षित भूमि नहीं है उनको सरकारी भूमि पर भवन बनाकर दिया जाए।
सुरक्षित जगह पर विस्थापित किया जाता है तो वे असुरक्षित भूमि का मुआवजा नहीं लेंगे और जोशीमठ के ट्रीटमेंट के बाद वापस उसी भूमि पर मानकों के अनुसार बसावट करेंगे। इसके अलावा उन्होंने ऐरा पुल से मारवाड़ी पुल तक अलकनंदा व धौली गंगा के बायीं ओर तटबंध बनाने, औली से जोशीमठ तक सभी वार्डों में सीवरेज व ड्रेनेज की व्यवस्था करने, प्रभावित क्षेत्रों में सामुदायिक भवन, मंदिर, गौचर, पनघट, घाट आदि को सुरक्षित रखने का प्रावधान करने, होटल, लॉज, होम स्टे आदि का मुआवजा उचित दर पर देने की मांग की है।.
आपदा प्रभावितों का कहना है कि प्रतिबंध के बावजूद कुछ जगहों पर निर्माण कार्य चल रहे हैं, जिनकी जांच की जाए। नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत जमीन की खरीद व बिक्री पर तत्काल रोक लगाने, जोशीमठ में विस्थापन व पुनर्वास कार्यालय खोलने और यहां के पुश्तैनी निवासियों को नियमानुसार विशेष पैकेज के अंतर्गत विस्थापन भत्ता देने की मांग की गई। ज्ञापन भेजने वालों में देवपुजाई समिति के अध्यक्ष भगवती प्रसाद नंबूरी, विशंबर सिंह, समीर डिमरी, नितिन, राजेश भट्ट, हर्षवर्धन भट्ट, सुभाष डिमरी, वैभव सकलानी, गुड्डी देवी भुजवाण, अरुणा नेगी, आशा सती, सुमेधा भट्ट आदि मौजूद रहे।