देहरादून। मैं अंतरिम बजट को 10 में से 10 नंबर देता हूं। यह बजट नीतियों और कराधान पर निरंतरता सुनिश्चित करते हुए विकास, कल्याणवाद और राजकोषीय संयम पर केंद्रित है। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिक खर्च के माध्यम से क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना और परिणामस्वरूप रोजगार सृजन को सुविधाजनक बनाने की कोशिश जारी रखी गई है।
साथ ही, बजट गरीबों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए पर्याप्त प्रावधान करता है, जो समग्र आर्थिक विकास के लिए अच्छा संकेत है। यह कदम एक अनिश्चित दुनिया में अच्छी स्थिति में रहने की दिशा में महत्वपूर्ण है। वित्त वर्ष 23-24 के लिए संशोधित राजकोषीय घाटे (5.8 प्रतिशत) में दरअसल बजट अनुमान से 10बीपीएस का सुधार है। फिस्कल कंसोलिडेशन सबसे आगे है और केंद्र में बना हुआ है।
वित्त वर्ष 24-25 के लिए राजकोषीय घाटा 5.1 प्रतिशत तक कम हो गया है, इससे उम्मीदों में सुधार हुआ है और वित्त वर्ष 25-26 तक 4.5 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने की प्रतिबद्धता नजर आती है। पूंजीगत व्यय परिव्यय 16.9 प्रतिशत बढ़कर 11.11 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 प्रतिशत है। यह पिछले 26 वर्षों में सबसे अधिक है, जिसमें सड़क, परिवहन और रेलवे पर विशेष ध्यान दिया गया है।
इसका तात्पर्य पिछले पांच साल की अवधि में 27 फीसदी सीएजीआर से है। व्यय की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है, पूंजीगत व्यय अब कुल व्यय का 23.3 प्रतिशत है – जो 30 वर्षों में सबसे अधिक है। बिजली, स्वास्थ्य, आवास, रसोई गैस और वित्तीय समावेशन पर कवरेज के साथ गरीबों और जरूरतमंदों के लिए आज एक सामाजिक सुरक्षा ढांचा मौजूद है। कुल मिलाकर, यह बाज़ारों के लिए एक सकारात्मक बजट है, जिसमें विकास, विवेकशीलता और पारदर्शिता पर निरंतर ध्यान दिया गया है।