चित्रकूट। प्रति वर्ष गुजरात राज्य शिक्षक संघ के माध्यम से पूज्य श्री मोरारीबापू द्वारा 35 शिक्षकों को चित्रकूट पुरस्कार दिया जाता है। इस समारोह का 24वां संस्करण 31 जनवरी, को केन्द्रीय शाला, चित्रकूटधाम, तलगाजरडा में आयोजित हुआ । सबसे पहले जिस प्राथमिक विद्यालय में मोरारीबापू ने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की थी, उसका जीर्णोद्धार करके, जिस कमरे में बापू ने अध्ययन किया था, उसे संरक्षित करके अन्य बनाए पांच नवनिर्मित स्कूल के कमरों का लोकार्पण मोरारीबापू और शिक्षा राज्यमंत्री प्रफुल्लभाई पानसेरिया ने दीप प्रज्जवलित करके किया। इसके बाद जर्जरित केंद्रीय विद्यालय के पुनर्निर्माण के लिए भूमिपूजन कार्यक्रम भी आयोजित हुआ।
चित्रकूटधाम केन्द्रवर्ती विद्यालय में समस्त महुवा के शिक्षकों की महासम्मेलन/आमसभा एवं चित्रकूट पुरस्कार वितरण समारोह गुजरात राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष श्री दिग्विजय सिंह जाडेजा की उपस्थिति में प्रारम्भ हुआ। श्री मनुभाई शियाल एवं जगदीशभाई कातरिया ने मौखिक स्वागत किया। महुवा तालुका से इस वर्ष सेवानिवृत्त होने वाले 13 शिक्षकों का विदाई समारोह भी इस कार्यक्रम में शामिल था। इन सभी को शॉल, पुष्पमाला पहनाकर और प्रशस्ति पत्र देकर विदा किया गया। गुजरात के सभी 33 जिलों और एक महानगर और एक नगर निगम के कुल 35 शिक्षकों को चित्रा पुरस्कार प्रदान किए गए। इस पुरस्कार में 25,000 रुपये का नकद, एक प्रशस्ति पत्र, एक शॉल और एक सूत्रमाला से सम्मानित किया जाता है।
राज्यभर से चयनित शिक्षकों ने यह पुरस्कार स्वीकार किया। महुवा तालुका के शिक्षक संघ के अग्रणी और जिला शिक्षक संघ के महामंत्री गजेंद्र सिंह वाला का मंचासीन अतिथियों द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह जाडेजा एवं महामंत्री सतीष भाई ने इस कार्यक्रम के लिए बापू का आभार व्यक्त किया एवं कार्यक्रम के निमित्त बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की। शिक्षा राज्यमंत्री श्री प्रफुल्लभाई पानसेरिया ने कहा कि, ग्रामीण शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण है। हम सभी को सत्य, प्रेम और करुणा को जीवन मंत्र बनाकर छात्रों में सर्वोत्तम गुणों को विकसित करने के लिए कार्य करना चाहिए।
उपनिषदों के विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से मंत्री ने तलगाजरडा की तपोभूमि की सराहना की और कार्यक्रम में उपस्थित होने पर खुद को गौरवान्वित महसूस किया। पूज्य सीताराम बापू ने कहा कि, विज्ञान गति है, आध्यात्मिकता दिशा है और शिक्षक सर्वोच्च तत्व है और इसलिए इस दिशा में लगातार उत्कृष्ट कार्य करते रहना चाहिए। पूज्य मोरारीबापू ने कहा कि शिक्षकों को मानव शरीर की पाठ्यपुस्तक भी पढ़ानी चाहिए। यह पाठ्यपुस्तक सरकार द्वारा अनुमोदित नहीं है लेकिन यह हम सभी के लिए आवश्यक है।
जिसमें बापू ने शरीर के पांच तत्वों – पृथ्वी, आकाश, वायु, जल और अग्नि के महत्व को समझते हुए विद्यार्थियों में इनके गुणों को विकसित करने पर विशेष जोर दिया। बापू ने कहा कि, पृथ्वी का मतलब भूगोल है और इसमें सब कुछ आता है। आकाश का अर्थ खगोल का ज्ञान है, वायु का अर्थ पर्यावरण का ज्ञान, जल का अर्थ जल तत्व है, जिसकी गुणवत्ता पवित्रता और अनिच्छित का संग्रह नहीं करने के लिए प्रसिद्ध है, इसे अपनाना भी जरूरी महसूस हो रहा है। वायु यानि मंद, धैर्य, सुगंध और शीतलता, यह इसके गुणों को स्वीकार करने को कहती है।
बापू ने मजाक में यह भी कहा कि, इसके लिए कोई अतिरिक्त वेतन वृद्धि नहीं मिलेगी किन्तु आशीर्वाद जरूर मिलेंगे। शिक्षक समीक्षक, परीक्षक, पर्यवेक्षक भी होना चाहिए। इस कार्यक्रम में विधायक शिवाभाई गोहिल, एपीएमसी के अध्यक्ष घनश्यामभाई पटेल, गांव के सरपंच भोलाभाई, जिला शिक्षा क्षेत्र के अधिकारी श्री पटेल और श्री पढेरिया, गुजरात राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारी और जिला संघ और तालुका शिक्षक संघ के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में शिक्षक समाज के सदस्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन भरतभाई पंड्या ने किया। गजेन्द्र सिंह वाला ने कार्यक्रम में उपस्थित रहने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।