Uttarakhand : एक शिक्षक के भरोसे दर्जनों नौनिहालों का भविष्‍य

देहरादून (एजेंसी)।  गांव के बच्‍चों को समग्र शिक्षा देने का दंभ भरने वाले उत्‍तराखण्‍ड में तस्‍वीर बिल्‍कुल उलट है।  मंत्रियों और नेताओं की घोषणाओं के विपरीत उत्तराखंड के गांवों में प्राथमिक, जूनियर व इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। गुरुजनों की कमी से नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। महत्वपूर्ण विषयों के प्रवक्ताओं के न होने से अभिभावक भी परेशान हैं। पिछले दिनों विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्यो की जिम्मेदारी निभा रहे शिक्षकों के प्रभार छोड़ने से संकट और ज्यादा बढ़ गया है।

पहाड़ की बात करें तो हम आपके सामने ला रहे हैं एक तस्‍वीर, उत्तरकाशी जनपद का सुदूर वर्ती क्षेत्र गाजणा जो कि विकास खण्ड डुण्डा के अन्तर्गत पडता है, वहा के गांव भडकोट के प्राथमिक विद्यालय जहां वर्तमान मे 81 छात्र छात्राएं अध्यनरत है कहने को तो सरकार ने इस विद्यालय को हर सुविधाएं दी है पर शिक्षक के नाम पर एक शिक्षक इन नौनिहालों का भविष्य वैतरणी पार लगा रहा है।

जहां प्राइवेट स्कूलों मे हर शिक्षार्थी पर स्टाफ मौजूद रहता है तो सोचो यहां कैसे एक शिक्षक इतने शिक्षार्थियों को पढाता होगा । शिक्षक ने परेशान होकर अपने खर्चे पर यहां वैकल्पिक शिक्षिका की तैनाती भी कर दी है पर उससे भी कुछ नहीं हुआ। फिलहाल यहां के लोगों ने अपने बच्चों को इस स्कूल से हटाने का काम शुरू कर दिया है ओर आने वाले समय मे यह स्कूल छात्र विहिन हो सकता है। आपको बता दें कि दूरस्थ इस क्षेत्र मे अधिकांश लोग होटल व्यवसाय से जुडे है ओर दूर प्रदेश मे नौकरी करते है पर आजतक इन्होंने पलायन नही किया है पर स्कूलों मे शिक्षक न होने के कारण यह लोग पलायन को मजबूर हो सकते है। .

इसी तरह से बेतालघाट ब्लॉक के गांवों में शिक्षा व्यवस्था के पटरी से उतरने पर ग्रामीणों का सब्र जवाब देने लगा है‌। राजकीय जूनियर हाईस्कूल नैनीचैक में महज एक शिक्षक के भरोसे शैक्षणिक व्यवस्था संचालित होने से क्षेत्रवासियों में नाराजगी है‌। ग्रामीणों ने उप-शिक्षा अधिकारी से मुलाकात कर विद्यालय में समुचित शिक्षकों की तैनाती की मांग उठाई है। उपेक्षा पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

गांवों में प्राथमिक, जूनियर व इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। गुरुजनों की कमी से नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। महत्वपूर्ण विषयों के प्रवक्ताओं के न होने से अभिभावक भी परेशान हैं। पिछले दिनों विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्यो की जिम्मेदारी निभा रहे शिक्षकों के प्रभार छोड़ने से संकट और ज्यादा बढ़ गया है। विद्यालय राम भरोसे संचालित है।

समीपवर्ती नैनीचैक गांव में स्थित जूनियर हाईस्कूल विद्यालय में आसपास के गांवों के चालीस से अधिक नौनिहाल अध्ययनरत हैं पर आसपास के विद्यालयों से व्यवस्था पर शिक्षक भेज विद्यालय संचालित किया जा रहा है। गांव के गोपाल सिंह जैड़ा, जीवन सिंह मेहरा, सुरेश सिंह आदि ने एबीइओ भूपेंद्र कुमार से मुलाकात कर विद्यालय की अनदेखी पर गहरी नाराजगी जताई। इस तरह से महज एक शिक्षक के भरोसे विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था संचालित कर नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। ये तो महज दो ही उदाहरण हैं इस तरह के दर्जनों विद्यालय हैं जो कि एक शिक्षक के भरोसे शिक्षा की जोत जलाने का  दंभ भर रहे हैं।

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