देहरादून। एचडीएफसी बैंक, भारत में प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंक ने अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी जागरूकता सप्ताह (आईएफएडब्ल्यू) के उपलक्ष्य में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडिमिनिस्ट्रेशन (आईआईपीए) के सहयोग से ‘बैंकिंग/फाइनेंशियल साइबर क्राइम प्रिवेंशन एंड डिटेक्शन’ पर एक दिवसीय कॉन्फ्रेंस की मेजबानी की। यह लगातार चौथा वर्ष है जब एचडीएफसी बैंक आईएफएडब्ल्यू के दौरान साइबर धोखाधड़ी जागरूकता में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है।
इस अवसर पर बोलते हुए, प्रशांत मेहरा, ग्रुप हेड, रिटेल पोर्टफोलियो मैनेजमेंट एंड फ्रॉड कंट्रोल, एचडीएफसी बैंक ने कहा कि साइबर अपराध व्यक्तियों और संगठनों की गोपनीयता और भलाई के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा है। साइबर धोखाधड़ी के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है और एचडीएफसी बैंक का ‘स्टे सेफ-स्टे विजिल-सुरक्षित रहें, सतर्क रहें’ अभियान ऐसा करने के लिए बैंक की एक और पहल है।
एचडीएफसी बैंक पिछले चार वर्षों से देश भर में विभिन्न स्थानों पर सुरक्षित बैंकिंग पहल के तहत साइबर धोखाधड़ी जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। बैंक लोगों को सुरक्षित बैंकिंग प्रेक्टिसिज के बारे में भी शिक्षित कर रहा है जो उन्हें धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाएगा। इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हमारा उद्देश्य प्रतिभागियों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना और साइबर सुरक्षा और लचीलापन बढ़ाने के लिए ठोस और कार्रवाई योग्य सिफारिशें तैयार करना है।
इस सम्मेलन के माध्यम से, एचडीएफसी बैंक का लक्ष्य विशेषज्ञों, प्रेक्टिशनर्स, नीति निर्माताओं और हितधारकों को साइबर अपराध की रोकथाम पर अपनी गहन जानकारी, अनुभव और बेस्ट प्रेक्टिसिज को शेयर करने और साइबर सुरक्षा और लचीलापन बढ़ाने के लिए ठोस और कार्रवाई योग्य सिफारिशें तैयार करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करना है। कॉन्फ्रेंस में इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय, आईआईपीए, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, इंडियन साइबर क्राइम कोऑडनेशन सेंटर (आई4सी), नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑडनेटर (एनसीएससी), सीईआरटी-इन, दिल्ली पुलिस, हरियाणा पुलिस, उत्तर प्रदेश पुलिस और अग्रणी बैंकों और वित्तीय मध्यस्थों के वरिष्ठ अधिकारी के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
श्री एस एन त्रिपाठी महानिदेशक, आईआईपीए (सेवानिवृत्त आईएएस) ने कहा कि डिजिटल युग में, साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई के लिए एक संयुक्त मोर्चे की आवश्यकता है। सहयोग और जागरूकता हमारी सबसे मजबूत ढाल होनी चाहिए। इस प्रकार के सहयोग और मान्यता को प्रोत्साहित करके, हम अपनी सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं और एक सुरक्षित और सुविधाजनक फाइनेंशियल परिदृश्य की दिशा में काम कर सकते हैं। हम सकारात्मक हैं कि यह पहल संवाद को मजबूत करेगी और साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सिफारिशें लेकर आएगी जो व्यक्तियों और संगठनों को साइबर अपराध के बढ़ते खतरे से बचा सकती है। आइए हम व्यक्तियों और संगठनों की सुरक्षा और विश्वास सुनिश्चित करते हुए साइबर खतरों के खिलाफ एक साथ खड़े हों।
कॉन्फ्रेंस के मौके पर, एचडीएफसी बैंक ने इंडस्ट्री की पहली ट्रांजेकशन वेरिफिकेशन सिस्टम को लॉन्च किया, जो व्हाट्सएप पर संचालित होती है। यह ग्राहकों को आवाज की जानकारी के बिना वेरिफिकेशन की अनुमति देता है। इसे साल के अंत से पहले ग्राहकों के लिए लॉन्च किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान, विशेषज्ञों ने इस बारे में गहन जानकारी साझा की और एक मजबूत और सुरक्षित वित्तीय इको-सिस्टम के निर्माण पर जोर दिया, जो डिजिटल धोखाधड़ी का सक्रिय रूप से पता लगा सके और उसका मुकाबला कर सके। सत्र में साइबर सुरक्षा जागरूकता और ग्राहक सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया; बैंकों द्वारा संदिग्ध खातों से निपटने की रणनीति; साइबर धोखाधड़ी पर पूर्वानुमानित मॉडलिंग में प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल है।
गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, भारत में 2021 में 52,900 से अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए। इसमें से लगभग. 60 प्रतिशत मामले वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित थे। डीओटी ने एक प्रेजेंटेशन में कहा कि साइबर अपराध से 2025 तक दुनिया को 17.65 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा। इसलिए साइबर अपराध को रोकने और उससे निपटने के लिए सामूहिक और समन्वित कार्रवाई करना जरूरी है। इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एचडीएफसी बैंक का उद्देश्य ग्राहकों के लाभ के लिए साइबर सुरक्षा और लचीलापन बढ़ाने के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें तैयार करने के लिए विभिन्न हितधारकों और नीति निर्माताओं के बीच संवाद को बढ़ावा देना है।